November 20, 2025

हाईकोर्ट ने जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान सामूहिक बलात्कार मामले में मांगा जवाब

हाईकोर्ट ने जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान...

चंडीगढ़, 5 नवम्बर : पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने जाट आरक्षण आंदोलन और राज्य में हिंसा के दौरान मुरथल में हुए सामूहिक दुष्कर्म मामले में हरियाणा सरकार को 10 नवंबर तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। इस मामले की जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दी गई है। हाईकोर्ट ने मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी से मामले की स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र अनुपम गुप्ता ने हाईकोर्ट को बताया था कि इस मामले से जुड़े कुल 2105 केस दर्ज हैं, जिनमें से सरकार करीब पांचवां हिस्सा यानी 407 केस वापस लेना चाहती है। सभी पक्षों को सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने सवाल उठाया कि एक एसआईटी करीब 2000 मामलों की जांच कैसे कर सकती है।

हाल ही में हरियाणा सरकार जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान जाट नेताओं पर दर्ज मामले वापस लेने पर विचार कर रही थी और संभावना थी कि इस मामले की सुनवाई के दौरान सरकार अर्जी दाखिल कर इस संबंध में अदालत से अनुमति मांगेगी। हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु के घर तोड़फोड़ करने और वाहनों को आग लगाने के आरोपी दिलावर सिंह ने हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की थी।

2018 तक इन मामलों की सुनवाई पूरी करने के आदेश दिए गए थे

इस अर्जी पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने इन मामलों की सुनवाई दिसंबर 2018 तक पूरी करने के आदेश दिए हैं। जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी के मामले में दिसंबर 2018 तक इन मामलों की सुनवाई पूरी करने के आदेश दिए गए थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों के बावजूद मामलों की सुनवाई पूरी नहीं हो पाई।

इस पर हाईकोर्ट ने सीबीआई को निचली अदालत में चल रहे मामलों की स्थिति की जानकारी देने के आदेश दिए थे और यह भी बताने को कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ट्रायल पूरा करने में देरी क्यों हो रही है। क्या इस देरी के लिए सुप्रीम कोर्ट में कोई अर्जी दाखिल की गई है या नहीं। लेकिन फरवरी 2019 के बाद हाईकोर्ट में इस मामले में कोई ठोस सुनवाई नहीं हो पाई। मुरथल में हुए सामूहिक दुष्कर्म और जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान प्रदेश में हुई हिंसा के मुद्दे पर हाईकोर्ट ने 24 फरवरी 2016 को संज्ञान लिया था और मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने के आदेश दिए थे।

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