नई दिल्ली, 2 सितम्बर : अमेरिका के अलास्का की बर्फीली घाटियों में भारत और अमेरिका की सेनाएं एक बार फिर कंधे से कंधा मिलाकर अपने युद्ध कौशल का प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। भारतीय सेना की टुकड़ी 21वें युद्धाभ्यास 2025 के लिए अमेरिका के अलास्का स्थित फोर्ट वेनराइट पहुंच गई है। यह संयुक्त सैन्य अभ्यास 1 से 14 सितंबर तक चलेगा, जिसमें दोनों देशों के सैनिक हेलीकॉप्टर लैंडिंग, पर्वतीय युद्ध, ड्रोन और ड्रोन रोधी तकनीकों के साथ-साथ संयुक्त सामरिक अभ्यास में भी हिस्सा लेंगे। इस अभ्यास का उद्देश्य दोनों देशों की सेनाओं को संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों और बहु-क्षेत्रीय चुनौतियों के लिए तैयार करना है।
भारतीय सेना की टुकड़ी में मद्रास रेजिमेंट की एक बटालियन शामिल है, जो अमेरिका की 11वीं एयरबोर्न डिवीजन की “बॉबकैट्स” (पहली बटालियन, 5वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट) के साथ प्रशिक्षण लेगी। इस अभ्यास में, सैनिक न केवल युद्ध-रणनीति का परीक्षण करेंगे, बल्कि एक-दूसरे के अनुभवों से भी सीखेंगे।
हेलीबोर्न से लेकर माउंटेन वारफेयर तक क्या होगा खास?
इस दो सप्ताह के संयुक्त अभ्यास में, दोनों सेनाएँ विभिन्न सामरिक अभ्यास करेंगी। इसमें हेलीकॉप्टर लैंडिंग तकनीक, पहाड़ी क्षेत्रों में युद्ध, निगरानी के लिए ड्रोन का उपयोग, ड्रोन-रोधी उपाय, चट्टानों पर चढ़ना, घायलों को निकालना और युद्ध में चिकित्सा सहायता जैसे कई पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसके अलावा, दोनों सेनाएँ तोपखाने, हवाई सहायता और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों के एकीकृत उपयोग का भी अभ्यास करेंगी।
यह अभ्यास केवल युद्ध तक ही सीमित नहीं है। दोनों देशों के विशेषज्ञ ड्रोन और ड्रोन-रोधी तकनीकों, सूचना युद्ध, संचार और रसद जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर चर्चा करेंगे। यह सहयोग दोनों सेनाओं के बीच समन्वय को और मज़बूत करेगा।
संयुक्त राष्ट्र मिशनों की तैयारी
इस अभ्यास का एक प्रमुख उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के लिए दोनों सेनाओं की तैयारी को और मज़बूत करना है। इस दौरान, सैनिक लाइव-फायर अभ्यास और उच्च-ऊंचाई वाले युद्ध परिदृश्यों में भाग लेंगे। यह अभ्यास दोनों देशों को आधुनिक युद्ध की जटिलताओं जैसी बहु-क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करेगा।
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