November 20, 2025

‘फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश बनना चाहिए’, UN में भारत का जोरदार समर्थन

फिलिस्तीन को स्वतंत्र देश बनना चाहिए...

संयुक्त राष्ट्र, 13 सितम्बर : संयुक्त राष्ट्र महासभा में शुक्रवार को एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित हुआ, जिसका भारत समेत कुल 142 देशों ने समर्थन किया। फ्रांस द्वारा पेश किए गए इस प्रस्ताव का उद्देश्य इज़राइल और फ़िलिस्तीनी समुदाय के बीच शांतिपूर्ण समाधान को बढ़ावा देना और द्वि-राष्ट्र समाधान लागू करना है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में फ़िलिस्तीन को राज्य का दर्जा देने के पक्ष में मतदान किया है।

प्रस्ताव में अक्टूबर 2023 में हमास द्वारा इज़राइल पर किए गए हमले की निंदा की गई, जिसमें 1200 लोग मारे गए थे और 250 से ज़्यादा बंधक बनाए गए थे। साथ ही, प्रस्ताव में गाजा में इज़राइल की जवाबी कार्रवाई की भी आलोचना की गई, जिसमें नागरिकों की मौत, बुनियादी ढाँचे के विनाश, नाकाबंदी और भुखमरी से उत्पन्न मानवीय संकट का हवाला दिया गया।

सभी हिंसक कदमों पर तत्काल रोक लगाने का भी आह्वान

प्रस्ताव में इज़राइल से द्वि-राज्य समाधान के प्रति स्पष्ट प्रतिबद्धता व्यक्त करने का भी आह्वान किया गया है। साथ ही, सभी हिंसक कदमों पर तत्काल रोक लगाने का भी आह्वान किया गया है। फिलिस्तीनी क्षेत्रों में नई बस्तियाँ न बनाने और ज़मीन पर कब्ज़ा न करने का वादा किया गया है। पूर्वी यरुशलम सहित किसी भी हिस्से पर कब्ज़ा करने या उसका विस्तार करने की नीति को सार्वजनिक रूप से अस्वीकार किया गया है।

प्रस्ताव में यह भी स्पष्ट किया गया कि गाजा फिलिस्तीनी राज्य का एक अभिन्न अंग है और कब्जे, नाकाबंदी, क्षेत्रीय हानि या जबरन विस्थापन को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए इसे पश्चिमी तट में मिला दिया जाना चाहिए। सभी खाड़ी अरब देशों ने प्रस्ताव का समर्थन किया। जबकि इज़राइल, संयुक्त राज्य अमेरिका, अर्जेंटीना, हंगरी, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, पैराग्वे और टोंगा ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया।

अमेरिका और इजराइल ने इस प्रस्ताव की निंदा की

इज़राइली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओरेन मार्मोरस्टीन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “इससे एक बार फिर साबित हो गया है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा वास्तविकता से कितनी दूर है। प्रस्ताव में एक बार भी यह ज़िक्र नहीं है कि हमास एक आतंकवादी संगठन है। वहीं, अमेरिकी राजनयिक मॉर्गन ऑर्टागस ने इसे हमास के समर्थन में एक राजनीतिक प्रदर्शन बताया।”

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