November 20, 2025

ईरान-इजराइल टकराव के कारण शेयर बाजार में दहशत, कंपनियों को खतरा

ईरान-इजराइल टकराव के कारण शेयर...

नई दिल्ली, 15 जून : ईरान और इजऱाइल के बीच बढ़ते युद्ध के तनाव का असर अब भारतीय शेयर बाजार तक भी पहुंच गया है। शुक्रवार को बाजार में भारी उथल-पुथल देखने को मिली। निफ्टी 24,500 से नीचे खुला, लेकिन दिन के अंत में थोड़ी रिकवरी के साथ 24,700 के ऊपर बंद हुआ। इस उथल-पुथल में उन कंपनियों के शेयर सबसे ज़्यादा गिरे जिनका इजराइल के साथ सीधा संबंध है। अगर यह तनाव और बढ़ता है, तो शेयर बाज़ार में एक बड़ा भूचाल आ सकता है।

इन कंपनियों पर सबसे अधिक असर

अडानी पोट्र्स ने जनवरी 2024 में इजऱाइल के हैफा पोर्ट में 1.03 बिलियन डॉलर का निवेश किया था। हालांकि कंपनी का कहना है कि हैफा पोर्ट का उसके कुल कारोबार में केवल 3 प्रतिशत योगदान है, लेकिन बढ़ते तनाव को लेकर निवेशक चिंतित हैं।

सन फार्मा की इजराइली कंपनी टारो फार्मास्युटिकल्स में बड़ी हिस्सेदारी है। आपूर्ति श्रृंखला में बाधा और व्यापारिक माहौल में गिरावट के कारण कंपनी के शेयर दबाव में हैं। लार्सन एंड टुब्रो इजऱाइल में बुनियादी ढांचे और रक्षा परियोजनाओं में शामिल है। टकराव के कारण इन परियोजनाओं में देरी और वित्तीय दबाव आ सकता है।

मिडल ईस्ट मध्य पूर्व गहनों के लिए एक बड़ा बाजार है और कई भारतीय कंपनियों का वहां अच्छा कारोबार है। टकराव के चलते सप्लाई चेन बाधित हो रही है और व्यापारिक वातावरण बिगड़ रहा है, जिससे इन कंपनियों के शेयरों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। एनएमडीसी जैसी माइनिंग कंपनी के भी इजऱाइल के साथ व्यापारिक संबंध हैं। युद्ध के चलते इन कंपनियों के शेयरों में अस्थिरता देखी जा रही है।

आर्थिक तौर पर भी होगा नुकसान

तेल की कीमतों में बढ़ोतरी ने इन कंपनियों के रिफाइनिंग मार्जिन पर दबाव डाला है, हालांकि अब तक भारतीय रिफाइनरियों की सप्लाई चेन प्रभावित नहीं हुई है। ईरान-इजऱाइल तनाव का असर सिर्फ राजनीतिक या सैन्य नहीं बल्कि आर्थिक और कारोबारी मोर्चे पर भी दिखने लगा है, और अगर स्थिति नहीं सुधरी, तो इससे भारत समेत वैश्विक शेयर बाज़ारों पर और भी गहरा असर पड़ सकता है।

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