काठमंडु, 30 सितंबर : नेपाल ने अपदस्थ प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली, उनके गृह मंत्री रमेश लेखर और तीन अन्य अधिकारियों के पासपोर्ट जब्त कर लिए हैं। यह कार्रवाई इस महीने की शुरुआत में जेन-जेड विरोध प्रदर्शनों के हिंसक दमन के सिलसिले में की गई है। सोमवार को काठमांडू के एक अस्पताल में इलाज के दौरान एक घायल प्रदर्शनकारी की मौत हो गई, जिससे दो दिवसीय विरोध प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या 76 हो गई।
सुशीला कार्की के अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के कुछ दिनों बाद, 21 सितंबर को कैबिनेट की बैठक में एक न्यायिक जाँच आयोग का गठन किया गया था। यह आयोग जेन-जेड विरोध प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा एजेंसियों द्वारा अत्यधिक बल प्रयोग की जाँच करेगा, जिसके परिणामस्वरूप कई मौतें हुईं। रविवार को, उच्च-स्तरीय न्यायिक आयोग ने ओली और चार अन्य लोगों के पासपोर्ट जब्त करने की सिफ़ारिश की।
गृह मंत्रालय ने आयोग की सिफ़ारिश के आधार पर यह कदम उठाया। अधिकारियों के अनुसार, जिन लोगों के पासपोर्ट जब्त किए गए हैं, उनमें तत्कालीन गृह सचिव गोकर्ण मणि दुवादी, तत्कालीन राष्ट्रीय जाँच एजेंसी प्रमुख हुतराज थापा और काठमांडू के तत्कालीन मुख्य ज़िला अधिकारी छबी रिजाल शामिल हैं। इन पाँचों को देश छोड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम
आयोग के अध्यक्ष गौरी बहादुर कार्की के अनुसार, जाँच की प्रगति के साथ जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए यह निर्णय लिया गया है। विजयादशमी उत्सव के बाद, जाँच आयोग शीर्ष अधिकारियों के बयान दर्ज कर सकता है, जिन्हें अधिकारियों की अनुमति के बिना काठमांडू घाटी छोड़ने पर भी रोक लगा दी गई है।
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