चंडीगढ़, 29 मई : पंजाब और हरियाणा के बीच चल रहे जल विवाद को लेकर एक ग्राम पंचायत द्वारा दायर याचिका पर बुधवार को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। यह देखते हुए कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) मामले की तात्कालिकता समाप्त हो चुकी है, उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई ग्रीष्मावकाश के बाद 8 जुलाई को तय की है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति सुमित गोयल की खंडपीठ के समक्ष पेश होते हुए पंजाब सरकार ने दलील दी कि बीबीएमबी का काम प्रशासन ने नहीं, बल्कि मौके पर जमा भीड़ ने रुकवाया था।
बीबीएमबी के कामकाज में हस्तक्षेप न हो
यह बयान ऐसे समय में आया है जब बीबीएमबी के अध्यक्ष ने करीब एक महीने पहले अदालत को बताया था कि उन्हें सार्वजनिक निकाय से बाहर कर दिया गया है, जिसे अदालत ने पहले अविश्वसनीय करार दिया था। अदालत ने यह भी कहा था कि बीबीएमबी के कामकाज में हस्तक्षेप रोकने के उसके आदेशों का उल्लंघन करने पर प्रथम दृष्टया मानहानि का मामला बनता है। सुनवाई के दौरान बीबीएमबी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश गर्ग ने चिंता व्यक्त की और कहा कि मामले की सुनवाई में देरी से और अधिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि यदि इस मामले की सुनवाई छुट्टियों के बाद होती है तो जून के दौरान हमें फिर से इसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जब तक पुलिस बल वहां मौजूद है और वे कह रहे हैं कि हम किसी को जाने से नहीं रोक रहे हैं, तब तक स्थिति ऐसी ही रहेगी। हम हर दिन कठिन परिस्थिति में रहते हैं। भाखड़ा और नांगल बांधों पर केंद्रीय बलों की तैनाती की खबरों पर टिप्पणी करते हुए राजेश गर्ग ने कहा कि इसके लिए ढांचा तैयार करना होगा और इसमें करीब डेढ़ से दो महीने का समय लगेगा। साथ ही इसके लिए बीबीएमबी को 8 करोड़ रुपये की राशि जमा करानी होगी। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन ने भी इसकी पुष्टि की, बशर्ते बीबीएमबी यह राशि जमा कराए।
डीजीपी का जवाब तैयार
इसी तरह, पंजाब सरकार ने अदालत को बताया कि मुख्य सचिव और डीजीपी का जवाब पूरी तरह तैयार है और इसकी प्रति जल्द ही सभी पक्षों को दे दी जाएगी। इस मामले में हाईकोर्ट पहले ही बीबीएमबी अधिकारियों के कामकाज में हस्तक्षेप करने वाले पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों के नाम तलब कर चुका है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी। उल्लेखनीय है कि यह मामला एक ग्राम पंचायत द्वारा दायर याचिका के जरिए हाईकोर्ट पहुंचा था।

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