चंडीगढ़, 20 दिसम्बर : पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सीबीआई के अलग-अलग दृष्टिकोणों पर गंभीर टिप्पणी की है। न्यायालय ने कहा कि एक ओर केंद्रीय जांच एजेंसी राज्यों द्वारा इसके अधिकार क्षेत्र पर आपत्ति जताने के बावजूद जांच करने के अपने अधिकार पर पुरजोर जोर देती है, वहीं दूसरी ओर, जब न्यायालय किसी मामले को जांच के लिए सीबीआई को सौंपने के संबंध में उसका रुख पूछते हैं, तो एजेंसी उदासीन और अनिर्णायक नजर आती है।
न्यायमूर्ति विनोद एस भारद्वाज ने कहा कि सीबीआई ने अपने तरीके से जांच करने में अरुचि दिखाई है, जो स्पष्ट रूप से संसाधनों की कमी और आगे जांच करने की अनिच्छा को दर्शाता है। न्यायालय ने इस व्यवहार को आश्चर्यजनक बताया। न्यायमूर्ति भारद्वाज ने स्पष्ट किया कि ये टिप्पणियां सीबीआई के कामकाज और उसके वरिष्ठ अधिकारियों की मानसिकता पर आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता को उजागर करने के लिए हैं।
अदालत ने फाजिल्का से जुड़े दो एनडीपीएस मामलों में पंजाब पुलिस द्वारा की गई जांच और निगरानी की गुणवत्ता पर गंभीर चिंता व्यक्त की। याचिकाकर्ताओं को नियमित जमानत देते हुए, उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि दोनों एफआईआर की आगे की जांच पंजाब के एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) के एडीजीपी, आईपीएस नीलभ किशोर की देखरेख में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा की जाए। न्यायमूर्ति भारद्वाज ने कहा कि अदालत की चिंताएं जांच में गंभीर खामियों के कारण उत्पन्न हुई हैं।
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