नई दिल्ली, 8 दिसम्बर : सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 7 दिनों से देश भर के हवाई अड्डों पर इंडिगो की उड़ानों के लगातार रद्द और विलंबित होने से उत्पन्न संकट में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा कि वह समझते हैं कि लाखों लोग इस समस्या का सामना कर रहे हैं, लेकिन सरकार पहले से ही इस मामले को देख रही है और इससे निपटने के लिए कदम उठा रही है।
जनहित याचिका (पीआईएल) में हस्तक्षेप का अनुरोध
यह मामला एक जनहित याचिका (PIL) के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय में लाया गया था। याचिकाकर्ता के वकील नरेंद्र मिश्रा ने अदालत से स्वतः संज्ञान लेकर इस संकट में तत्काल हस्तक्षेप करने की माँग की थी। याचिका में दावा किया गया था कि उड़ानों के रद्द होने से यात्रियों को भारी कठिनाई और मानवीय संकट का सामना करना पड़ रहा है और यह संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन है।
याचिका में प्रभावित यात्रियों के लिए वैकल्पिक यात्रा और मुआवज़े की भी मांग की गई थी। याचिकाकर्ता के वकील 6 दिसंबर को मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत के आवास पर भी पहुँचे थे और मामले की तत्काल सुनवाई की माँग की थी।
संकट का पैमाना
अदालत में दाखिल आंकड़ों के अनुसार, इस संकट के कारण 2500 उड़ानें विलंबित हुई हैं और देश भर के 95 हवाई अड्डे प्रभावित हुए हैं। उड़ानें रद्द होने का मुख्य कारण पायलटों के लिए बनाए गए नए FDTL नियमों की गलत योजना को बताया गया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर हालात ऐसे ही होते, तो मामला अलग होता, लेकिन चूँकि सरकार कदम उठा रही है, इसलिए वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। इस बीच, पश्चिम रेलवे भी यात्रियों को राहत प्रदान कर रहा है।
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