नई दिल्ली/इस्लामाबाद, 21 दिसम्बर : पाकिस्तान इस समय अमेरिका के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने की कोशिशों में जुटा है, लेकिन यही दोस्ती अब उसके लिए मुश्किलें खड़ी करती नजर आ रही है। अमेरिका पाकिस्तान पर गाजा में शांति सेना भेजने का दबाव बना रहा है, जिससे पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर गंभीर संकट में घिरते दिखाई दे रहे हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो के एक बयान ने पाकिस्तान की राजनीति और सत्ता के गलियारों में हलचल मचा दी है।
रूबियो ने गाजा शांति समझौते के तहत ‘गाजा स्टैबिलाइजेशन फोर्स’ में शामिल होने पर विचार करने के लिए पाकिस्तान का आभार जताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका पाकिस्तान के इस प्रस्ताव या उस पर विचार करने की पहल के लिए शुक्रगुजार है।
अमेरिका से नजदीकी बढ़ाना पड़ा भारी
मार्को रूबियो का यह बयान पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गाजा पीस प्लान से जुड़ा माना जा रहा है, जिसके तहत पाकिस्तान की सेना को गाजा भेजने की बात कही जा रही है। हालांकि इस मुद्दे पर पाकिस्तानी सेना और सरकार के भीतर गहरी मतभेद उभरकर सामने आ गए हैं। गाजा में सेना भेजने की संभावित योजना को लेकर पाकिस्तान में विरोध तेज हो गया है।
जनरल असीम मुनीर के खिलाफ लोग सड़कों पर उतर आए हैं। कई राजनीतिक दलों के साथ-साथ वह सरकार भी इस फैसले से सहमत नहीं दिख रही, जिसने मुनीर को मजबूत बनाया था। ऐसे में सेना प्रमुख के लिए स्थिति लगातार जटिल होती जा रही है।
“मुस्लिम देश को फिलिस्तीनियों से नहीं लड़ना चाहिए”
पाकिस्तानी मीडिया और बुद्धिजीवियों का मानना है कि ट्रंप की योजना मुस्लिम देशों को हमास और अन्य फिलिस्तीनी समूहों से टकराव की ओर धकेलने की कोशिश है। पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन ने अपने संपादकीय में लिखा कि अमेरिका वह काम करना चाहता है, जिसमें इजरायल नाकाम रहा। अखबार ने साफ कहा कि किसी भी मुस्लिम देश को फिलिस्तीनी समूहों के खिलाफ नहीं लड़ना चाहिए।
संपादकीय में यह भी कहा गया है कि इजरायल पर भरोसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि उसने गाजा के अहम हिस्सों पर कब्जा बनाए रखने के संकेत दिए हैं। ऐसे में मुस्लिम और अरब देशों को अमेरिकी-इजरायली योजना का हिस्सा नहीं बनना चाहिए।
चीन की नाराजगी भी बढ़ी
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका से बढ़ती नजदीकी के चलते चीन भी पाकिस्तान से नाराज है। ऐसे में असीम मुनीर के सामने हर फैसला जोखिम भरा साबित हो सकता है। फिलहाल पाकिस्तान की सत्ता और सेना दोनों ही असमंजस की स्थिति में नजर आ रहे हैं।

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