October 6, 2025

मालेगांव ब्लास्ट केस में 17 साल बाद फैसला, साध्वी प्रज्ञा सहित सभी आरोपी बरी

मालेगांव ब्लास्ट केस में 17 साल बाद फैसला...

नई दिल्ली, 31 जुलाई : महाराष्ट्र का मालेगांव शहर 29 सितंबर 2008 को धमाकों से दहल गया था। इसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में 17 साल बाद फैसला आया है। विशेष एनआईए अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने इस मामले में साध्वी प्रज्ञा समेत सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया है। फैसला पढ़ते हुए एनआईए कोर्ट के जज ने कहा, “अभियोजन पक्ष यह साबित करता है कि मालेगांव में धमाका हुआ था, लेकिन वह यह साबित नहीं कर सका कि उस मोटरसाइकिल में बम रखा गया था।

अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि घायलों की उम्र 101 नहीं बल्कि 95 साल थी और कुछ मेडिकल सर्टिफिकेट के साथ छेड़छाड़ की गई थी।” यह मामला राजनीतिक रूप से काफी संवेदनशील रहा है। कांग्रेस सरकार में पहली बार भगवा आतंकवाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया था।

विस्फोट में छह लोगों की मौत हो गई

29 सितंबर 2008 को, लोग रमज़ान के महीने और नवरात्रि के त्योहार का जश्न मनाने में व्यस्त थे। रात लगभग 9:35 बजे, मालेगांव के भीखू चौक पर एक बम विस्फोट हुआ। चारों ओर धुआँ और लोगों की चीखें सुनाई दे रही थीं। 6 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। 100 से ज़्यादा लोग घायल हुए। मालेगांव नासिक जिले का एक मुस्लिम बहुल इलाका है।

अदालत ने 19 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था

17 साल तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने 19 अप्रैल को सभी सातों आरोपियों के खिलाफ अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसले की तारीख 8 मई तय की गई थी। सभी आरोपियों को उस दिन पेश होने का आदेश दिया गया था, लेकिन फिर अदालत ने फैसले की तारीख 31 जुलाई तय कर दी।

आज कोर्ट में पेश होंगे 7 आरोपी

इस मामले की जाँच तत्कालीन महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख और शहीद आईपीएस अधिकारी हेमंत करकरे को सौंपी गई थी। उन्होंने कुल 12 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें अदालत ने पाँच आरोपियों को बरी कर दिया था।

आज (गुरुवार) साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित (रिटायर्ड), मेजर रमेश उपाध्याय (रिटायर्ड), समीर कुलकर्णी, अजय राहिकर, सुधाकर धर द्विवेदी उर्फ दयानंद पांडे और सुधाकर चतुर्वेदी पर फैसला सुनाया जाना है।

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