इस्लामाबाद, 18 मई : हाल ही में पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 1 अरब डॉलर का ऋण प्राप्त हुआ था, जिसके बाद इस पर कई सवाल उठने लगे हैं। विशेष रूप से, आतंकवादियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने वाले देश को ऋण देने के निर्णय पर आलोचना की जा रही है। आईएमएफ अब इस बात को लेकर चिंतित है कि पाकिस्तान को दिया गया यह धन सही तरीके से उपयोग नहीं हो सकता। इसी चिंता के मद्देनजर, आईएमएफ ने पाकिस्तान के लिए अपने राहत कार्यक्रम की अगली किश्त जारी करने से पहले 11 नई शर्तें लागू की हैं।
इसके अतिरिक्त, आईएमएफ ने भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे संघर्ष को आर्थिक कार्यक्रम के लिए एक गंभीर खतरा बताया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए राजनीतिक हालात का ध्यान रखना आवश्यक है।
पाकिस्तान पर क्या शर्तें लगाईं?
अगले वित्तीय वर्ष के लिए 17,600 अरब रुपये का नया बजट संसद से पारित होना होगा, बिजली का बिल बढ़ाना पड़ेगा। तीन वर्ष से अधिक पुरानी प्रयुक्त कारों के आयात पर प्रतिबंध हटाया जाना चाहिए। चार संघीय संस्थाओं द्वारा नए कृषि आयकर कानून का कार्यान्वयन, जिससे करदाता पहचान, रिटर्न प्रसंस्करण और अनुपालन में सुधार होगा। देश में संचार अभियान को मजबूत करना होगा।
आईएमएफ की सिफारिशों के आधार पर परिचालन सुधारों की कार्यप्रणाली को प्रदर्शित करना होगा।2027 के बाद वित्तीय क्षेत्र के लिए रणनीति तैयार करनी होगी और उसे सार्वजनिक करना होगा। ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित चार अतिरिक्त शर्तें भी लगाई गई हैं, जिनमें टैरिफ निर्धारण, वितरण सुधार और वित्तीय पारदर्शिता शामिल हैं।
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