नई दिल्ली, 3 दिसम्बर : केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए चार नए लेबर कोड वेज कोड, इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड, सोशल सिक्योरिटी कोड और ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एवं हेल्थ कोड ने देश के 44 केंद्रीय और 100 से अधिक राज्य श्रम कानूनों को एक सरल और आधुनिक ढांचे में बदल दिया है। विशेषज्ञ इन्हें मज़दूरों के हित में ऐतिहासिक सुधार बता रहे हैं।
सभी श्रमिकों को न्यूनतम वेतन का अधिकार
नए कानूनों के तहत अब देश का हर श्रमिक कृषि, निर्माण, घरेलू कामगार, फिक्स्ड-टर्म कर्मचारी, गिग व प्लेटफॉर्म वर्कर्स कानूनी न्यूनतम वेतन का हकदार होगा। “राष्ट्रीय फ़्लोर वेज” सुनिश्चित करेगा कि कोई भी राज्य तय मानक से नीचे वेतन नहीं दे सकेगा। महिला श्रमिकों के लिए समान वेतन का अधिकार, सुरक्षित नाइट-शिफ्ट, क्रेच सुविधा और मातृत्व लाभ अनिवार्य किए गए हैं। सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ाकर गिग, प्रवासी और असंगठित श्रमिकों तक PF, ESIC, पेंशन और बीमा जैसी सुविधाएँ पहुंचाई जाएँगी।
फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को स्थायी श्रमिकों जैसी सुविधाएँ
प्रवासी मज़दूरों के लिए आधार-आधारित यूनिफाइड डेटाबेस, राशन और लाभों की पोर्टेबिलिटी और यात्रा सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को स्थायी श्रमिकों जैसी सुविधाएँ और एक वर्ष में ग्रेच्युटी का अधिकार दिया गया है। नए प्रावधानों में मुफ्त वार्षिक स्वास्थ्य जांच, सुरक्षा मानकों का सख्त पालन, अपॉइंटमेंट लेटर की अनिवार्यता, समय पर वेतन और ऑनलाइन शिकायत समाधान प्रणाली शामिल है।
सरकार का कहना है कि “12 घंटे काम” और “Hire & Fire” जैसी आशंकाएँ भ्रामक हैं, क्योंकि सभी मौलिक श्रमिक अधिकार सुरक्षित हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यदि इन कोडों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया गया, तो यह भारत के ग्रामीण, कृषि और असंगठित मज़दूरों के जीवन में बड़ा बदलाव लाएगा।
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