नई दिल्ली, 13 अगस्त : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को सजा पूरी करने के बावजूद जेल में बंद कैदियों पर चिंता व्यक्त की और सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे ऐसे किसी भी दोषी को तुरंत रिहा करें जो किसी अन्य मामले में वांछित नहीं है। न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने 2002 के नीतीश कटारा हत्याकांड के आरोपी सुखदेव यादव उर्फ भलवान को रिहा करने का आदेश देते हुए यह आदेश जारी किया।
पीठ ने कहा कि सुखदेव यादव ने इस साल मार्च में बिना किसी छूट के अपनी 20 साल की सजा पूरी कर ली थी। पीठ ने कहा, ‘इस आदेश की एक प्रति रजिस्ट्री के माध्यम से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के गृह सचिवों को भेजी जाए ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या कोई आरोपी या दोषी सजा की अवधि से अधिक जेल में रहा है। यदि ऐसा है, तो ऐसे दोषियों की रिहाई के आदेश जारी करें, यदि वे किसी अन्य मामले में वांछित नहीं हैं।
इसी तरह की एक प्रति राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को भेजी जाएगी, ताकि इसे सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विधिक सेवा प्राधिकरणों के सदस्य सचिवों को भेजा जा सके, ताकि राज्यों के जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों को निर्णय के कार्यान्वयन के लिए सूचित किया जा सके।’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता (सुखदेव यादव) को 9 मार्च, 2025 के बाद किसी भी अवधि के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता। वास्तव में, उसे 10 मार्च, 2025 को अपनी सजा पूरी करने के बाद रिहा किया जाना चाहिए था।
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