October 7, 2025

अधिक काम करने के कारण मस्तिष्क कोशिकाएं मर जाती हैं; क्या यही पार्किंसंस का कारण है?

अधिक काम करने के कारण मस्तिष्क कोशिकाएं...

नई दिल्ली, 31 अगस्त : वैज्ञानिकों ने पाया है कि जब मस्तिष्क की कोशिकाएँ हफ़्तों तक लगातार सक्रिय रहती हैं, तो वे कमज़ोर हो जाती हैं और अंततः मर जाती हैं। यह खोज उन्हें यह समझने में मदद कर सकती है कि पार्किंसंस रोग से पीड़ित लोगों के मस्तिष्क में क्या गड़बड़ होती है। शोधकर्ताओं को लंबे समय से पता था कि पार्किंसंस रोग बढ़ने पर न्यूरॉन्स का एक विशिष्ट उपसमूह मर जाता है, लेकिन वे यह नहीं जानते थे कि ऐसा क्यों होता है। ईलाइफ़ पत्रिका में प्रकाशित चूहों पर किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि इन न्यूरॉन्स की लगातार सक्रियता उनकी मृत्यु का कारण बन सकती है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पार्किंसंस रोग में न्यूरॉन्स की अतिसक्रियता आनुवंशिक कारकों, पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थों और अन्य कारकों के कारण हो सकती है।

अमेरिका के ग्लैडस्टोन इंस्टीट्यूट्स के शोधकर्ता केन नाकामुरा ने कहा, “पार्किंसंस पर शोध में एक व्यापक प्रश्न यह रहा है कि इस बीमारी के लिए ज़िम्मेदार कोशिकाएँ क्यों मरती हैं।” उन्होंने आगे कहा, “इस प्रश्न का उत्तर हमें यह समझने में मदद कर सकता है कि यह बीमारी क्यों होती है और इसके इलाज के नए रास्ते खोल सकता है।” दुनिया भर में 80 लाख से ज़्यादा लोग पार्किंसंस रोग से पीड़ित हैं।

शोधकर्ताओं ने पाया कि एक महीने बाद, न्यूरॉन्स मरने लगे। टीम ने अतिसक्रियता से पहले और बाद में डोपामाइन न्यूरॉन्स में होने वाले आणविक परिवर्तनों का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि न्यूरॉन्स की अतिसक्रियता के कारण कैल्शियम के स्तर और डोपामाइन चयापचय से संबंधित जीनों की अभिव्यक्ति में परिवर्तन हुए। जब ​​शोधकर्ताओं ने पार्किंसंस के शुरुआती रोगियों के मस्तिष्क के नमूनों में जीनों के स्तर को मापा, तो उन्हें भी इसी तरह के परिवर्तन मिले।