October 6, 2025

मालेगांव मामले में पीएम मोदी और मोहन भागवत का नाम लेने के लिए दबाव

मालेगांव मामले में पीएम मोदी और मोहन...

नई दिल्ली, 2 अगस्त: पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जो राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से काफी चर्चा का विषय बन गया है। इस मामले में प्रज्ञा ठाकुर की भूमिका को लेकर कई विवाद उठ चुके हैं, और उनका यह बयान इस संदर्भ में नई बहस को जन्म दे सकता है। उन्होंने अपने बयान में उन घटनाओं का उल्लेख किया जो उस समय हुई थीं।

यह भी बताया कि कैसे उन्हें इस मामले में फंसाया गया। प्रज्ञा ठाकुर का यह बयान न केवल उनके व्यक्तिगत अनुभव को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि इस मामले के पीछे की जटिलताएँ और राजनीतिक निहितार्थ कितने गहरे हैं। उनके इस बयान के बाद, राजनीतिक हलकों में प्रतिक्रियाएँ आना शुरू हो गई हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि मालेगांव विस्फोट मामला अभी भी भारतीय राजनीति में एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है।

प्रज्ञा ठाकुर का दावा

उन्होंने दावा किया है कि जांच के दौरान अधिकारियों ने उन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत का नाम लेने के लिए दबाव डाला।आरोपियों को बरी कर दिया गया।यह बयान एक विशेष एनआईए अदालत द्वारा उन्हें और छह अन्य आरोपियों को मामले में बरी किए जाने के बाद आया है। एनआईए अदालत ने गुरुवार को 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित और पांच अन्य को सभी आरोपों से बरी कर दिया।