मेरठ, 5 अगस्त : अपने बेबाक बयानों के लिए मशहूर जम्मू-कश्मीर, गोवा, बिहार और मेघालय के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को निधन हो गया। मेरठ से उनका गहरा नाता था। उन्होंने यहीं मेरठ कॉलेज से बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई की थी। छात्र संघ की राजनीति से राजनीति में कदम रखा और फिर तरक्की की सीढ़ियाँ चढ़ते गए।
बागपत के हिसावदा गांव में जन्मे
25 जुलाई 1946 को बागपत के हिसावदा गाँव में जन्मे सत्यपाल मलिक एक किसान परिवार से थे। उन्होंने मेरठ कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की और राम मनोहर लोहिया से प्रेरणा लेकर एक समाजवादी छात्र नेता के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की।
उन्होंने पहली बार 1968 में मेरठ कॉलेज के छात्रसंघ का चुनाव लड़ा और अध्यक्ष चुने गए। वे इस कॉलेज से दो बार छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। बाद में उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। 1974 में उन्होंने भारतीय क्रांति दल के टिकट पर बागपत से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। वे 1980 और 1986 में राज्यसभा सदस्य रहे। 1989 में उन्होंने जनता दल के टिकट पर अलीगढ़ से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 1996 में उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर अलीगढ़ से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 1990 में वे केंद्रीय पर्यटन और संसदीय कार्य राज्य मंत्री रहे।
वह 2014 में भाजपा में शामिल हुए। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने उन्हें अपना राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया और राजस्थान विधानसभा चुनाव की ज़िम्मेदारी भी सौंपी। 4 अक्टूबर 2017 को बिहार के राज्यपाल का पदभार संभालने से पहले, वह भाजपा के किसान मोर्चा के प्रभारी थे। बाद में, उन्हें ओडिशा के राज्यपाल का भी कार्यभार सौंपा गया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर और मेघालय के राज्यपाल का भी कार्यभार संभाला।

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