October 6, 2025

अमेरिकी सेना में सिखों के दाढ़ी रखने पर प्रतिबंध धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन

अमेरिकी सेना में सिखों के दाढ़ी रखने...

अमृतसर, 6 अक्तूबर : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने अमेरिकी रक्षा मंत्री द्वारा अमेरिकी रक्षा बलों में सिखों के दाढ़ी रखने पर रोक लगाने संबंधी बयान के संबंध में भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर को पत्र लिखकर इस मुद्दे को अमेरिकी सरकार के समक्ष उठाने और इस पर रोक लगाने का आग्रह किया है। पत्र में कहा गया है कि इस फैसले से सिखों की धार्मिक आस्था को ठेस पहुँची है, इसे रोका जाना चाहिए और सिखों को पहले की तरह अपने धर्म का पालन करते हुए अमेरिकी सेना में सेवा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

विदेश मंत्री को लिखा पत्र

एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि अमेरिकी सरकार के किसी अधिकारी का ऐसा बयान सिखों की परंपराओं और मौलिक अधिकारों की अवहेलना है। उन्होंने कहा कि सिखों ने अपनी योग्यता से दुनिया भर में अच्छे मुकाम हासिल किए हैं, उन्होंने अमेरिका के विकास में भी योगदान दिया है और अमेरिकी सेना में भी सिख पूरी निष्ठा से अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। ऐसे में सैन्य ड्यूटी के दौरान सिखों को दाढ़ी रखने से रोकने का फैसला तर्कसंगत नहीं है।

एडवोकेट धामी ने कहा कि सिखों द्वारा अपने बाल न कटवाना उनके गुरुओं और धर्म के प्रति वचनबद्धता है और अमेरिकी रक्षा मंत्री द्वारा सिखों को दाढ़ी रखने पर रोक लगाने वाला कानून सिखों की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है। उन्होंने कहा कि अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देश में सिख समुदाय के साथ इस तरह का भेदभाव ठीक नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के सर्वांगीण विकास में सिखों के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

सिखों ने वहां रहते हुए बहुत मेहनत की है और देश की समृद्धि के लिए काम किया है। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय के रीति-रिवाजों और परंपराओं को दुनिया के किसी भी हिस्से में पेश करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सिखों ने पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। अमेरिका, एक ऐसा देश जो सिखों के जीवन जीने के तरीके, पहचान और सम्मान को करीब से समझता है, वहां सिखों की धार्मिक स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचाना ठीक नहीं है। उन्होंने अमेरिकी सरकार से ऐसा कोई फैसला न लेने की अपील की और भारतीय विदेश मंत्री से भी अपील की कि वे तुरंत इस मामले को अमेरिकी सरकार के समक्ष उठाएं और इसका समाधान करें।

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