नई दिल्ली, 2 अगस्त : इस साल जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका से भारतीयों के निर्वासन में भारी वृद्धि हुई है। अगर इससे पहले जो बाइडेन के कार्यकाल के आंकड़ों पर नज़र डालें, तो यह संख्या दोगुनी से भी ज़्यादा है। इस वर्ष औसतन हर दिन कम से कम 8 भारतीयों को निर्वासित किया गया है, जबकि 2020 और दिसंबर 2024 के बीच यह संख्या लगभग 3 प्रति दिन थी।
विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2020 और जुलाई 2025 के बीच साढ़े पांच वर्षों में, 7,244 भारतीयों को विभिन्न कारणों से निर्वासित किया गया और उनमें से लगभग एक चौथाई, 1,703, ट्रम्प के दूसरी बार पदभार संभालने के बाद वापस भेज दिए गए।
ट्रंप ने आते ही इमिग्रेशन नीति सख्त की
ट्रम्प प्रशासन ने 2025 की शुरुआत से आव्रजन नीति को कड़ा कर दिया है। विदेश विभाग ने कहा, “हम वीज़ा धारकों की लगातार समीक्षा करते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे सभी अमेरिकी कानूनों और आव्रजन नियमों का पालन कर रहे हैं। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो हम उनके वीज़ा रद्द कर देंगे और उन्हें निर्वासित कर देंगे।”
अमेरिका ने भारतीयों को वापस कैसे भेजा?
विदेश विभाग के अनुसार, इस वर्ष निर्वासित किए गए 1,703 लोगों में से 864 को चार्टर और सैन्य उड़ानों के माध्यम से निर्वासित किया गया। अमेरिकी सीमा शुल्क और सीमा सुरक्षा (सैन्य उड़ानों) ने 5, 15 और 16 फरवरी को 333 लोगों को निर्वासित किया। अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) ने 19 मार्च, 8 जून और 25 जून को चार्टर उड़ानों के माध्यम से प्रवर्तन और निष्कासन अभियानों के माध्यम से कुल 231 लोगों को निर्वासित किया।
होमलैंड सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने भी 5 और 18 जुलाई को चार्टर उड़ानों के माध्यम से 300 लोगों को भारत वापस लाया। इसके अलावा, 747 भारतीयों को वाणिज्यिक उड़ानों के माध्यम से वापस लाया गया। इस अवधि के दौरान 72 लोग पनामा से भी लौटे।
इन राज्यों से लोग वापस आए
अगर राज्यवार देखें तो सबसे अधिक 620 लोग पंजाब से निर्वासित किए गए। इसके बाद हरियाणा से 604, गुजरात से 245, उत्तर प्रदेश से 38, गोवा से 26, महाराष्ट्र और दिल्ली से 20-20, तेलंगाना से 19, तमिलनाडु से 17, आंध्र प्रदेश और उत्तराखंड से 12 तथा कर्नाटक से 5 लोगों को निर्वासित किया गया।
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