November 20, 2025

दिल्ली दंगों पर दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट से क्या कहा?

दिल्ली दंगों पर दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम...

नई दिल्ली, 20 नवम्बर : दिल्ली पुलिस ने आज सुप्रीम कोर्ट में 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों को “देश की स्वतंत्रता पर हमला” और “सरकार बदलने की जानबूझकर की गई साजिश” करार दिया और उमर खालिद और शरजील इमाम सहित कई कार्यकर्ताओं की जमानत याचिकाओं का कड़ा विरोध किया।

दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने कहा कि जब शिक्षित बुद्धिजीवी आतंकवादी बन जाते हैं, तो वे जमीनी कार्यकर्ताओं से भी अधिक खतरनाक हो जाते हैं।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने कहा कि डॉक्टरों और इंजीनियरों का देश-विरोधी गतिविधियों में शामिल होना अब एक चलन बन गया है। उन्होंने अदालत में शरजील इमाम के कथित भड़काऊ भाषणों के वीडियो दिखाए। वीडियो में उसे फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों से पहले, 2019 और 2020 में भाषण देते हुए दिखाया गया था।

वकील ने कहा कि आजकल डॉक्टर और इंजीनियर अपना पेशा छोड़कर देश-विरोधी गतिविधियों में लिप्त हो रहे हैं। ज़मानत याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने कहा, “निचली अदालत को मुकदमे में तेज़ी लाने का निर्देश दिया जा सकता है, लेकिन देरी ज़मानत देने का आधार नहीं है। अगर कोई साढ़े पाँच साल जेल में रहा भी हो, तो उसे ज़मानत देने का आधार नहीं बनाया जाना चाहिए।”

ट्रम्प की यात्रा के दौरान विरोध प्रदर्शन

एएसजी ने कहा कि सीएए के विरोध प्रदर्शनों का समय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के साथ मेल खाने के लिए रखा गया था ताकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया कवरेज मिल सके। राजू ने कहा कि उनका अंतिम उद्देश्य सरकार बदलना था। सीएए के विरोध प्रदर्शन केवल एक भटकाव थे, असली मकसद सरकार बदलना, आर्थिक तंगी पैदा करना और देश भर में अराजकता फैलाना था। ये दंगे जानबूझकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यात्रा के साथ मेल खाने के लिए आयोजित किए गए थे। ये तथाकथित बुद्धिजीवी जमीनी स्तर के आतंकवादियों से भी ज़्यादा खतरनाक हैं।