चंडीगढ़, 24 अक्टूबर : हर साल की तरह, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एक बार फिर गंभीर वायु प्रदूषण की चपेट में है। इसके साथ ही, इस प्रदूषण के स्रोतों को लेकर राजनीतिक बहस और आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। हालाँकि, इस साल यह बहस एक नए मोड़ पर है। पंजाब से आए नए आँकड़े पराली जलाने की घटनाओं में एक अभूतपूर्व गिरावट दर्शाते हैं, जिसने इस पूरी चर्चा के केंद्र में एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है: अगर पंजाब में पराली इतनी कम जल रही है, तो दिल्ली के प्रदूषण के लिए पंजाब के किसानों और वहाँ की सरकार को क्यों कठघरे में खड़ा किया जा रहा है?
पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं 75% घटी
सबसे पहले, उन आँकड़ों पर नज़र डालना ज़रूरी है जो इस बहस को एक नई दिशा दे रहे हैं। 15 सितंबर से 21 अक्टूबर के बीच पराली जलाने की घटनाओं की तुलनात्मक संख्या एक महत्वपूर्ण कहानी बयां करती है। जहाँ साल 2022 में इसी अवधि के दौरान 3114 घटनाएँ दर्ज की गई थीं, वहीं 2023 में यह घटकर 1764, 2024 में 1510 और इस साल 2025 में यह आँकड़ा आश्चर्यजनक रूप से गिरकर महज़ 415 रह गया है। यह आँकड़ा इस सीज़न में 75% से अधिक की भारी गिरावट का स्पष्ट प्रमाण है, जो पंजाब सरकार के प्रयासों और किसानों के सहयोग की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
इस महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद, दिल्ली के राजनीतिक गलियारों से आने वाले बयान एक अलग ही तस्वीर पेश करते हैं। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा जैसे नेताओं ने दिल्ली के प्रदूषण के लिए सीधे तौर पर पंजाब के किसानों को ज़िम्मेदार ठहराया है। यह आरोप-प्रत्यारोप तब हो रहे हैं जब दिल्ली खुद दुनिया के सबसे प्रदूषित महानगरों की सूची में शीर्ष पर है। यह स्थिति एक स्पष्ट विरोधाभास पैदा करती है, जहाँ एक तरफ पराली की घटनाओं में भारी कमी आई है, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली का प्रदूषण संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा है।
यह भी देखें : युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़ेगी पंजाब सरकार : हरजोत सिंह बैंस

More Stories
पंजाब विधान सभा स्पीकर ने नवनिर्वाचित विधायक हरमीत सिंह संधू को शपथ दिलाई
राज्यपाल ने श्री आनंदपुर साहिब में विधानसभा के विशेष सत्र को मंजूरी दी
विधानसभा में मॉक सत्र के लिए विद्यार्थियों को दी ट्रेनिंग : स्पीकर