नई दिल्ली, 7 जुलाई : एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के एक हालिया बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। रिजिजू ने दावा किया था कि भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों की तुलना में अधिक लाभ और सुरक्षा प्राप्त होती है। ओवैसी ने इस बयान को पूरी तरह से गलत ठहराते हुए कहा कि भारत में अल्पसंख्यक अब केवल दोयम दर्जे के नागरिक नहीं रह गए हैं, बल्कि वे बंधक की स्थिति में हैं। यह विवाद एक समाचार पत्र में प्रकाशित इंटरव्यू के बाद शुरू हुआ, जिसमें ओवैसी ने रिजिजू के बयान को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की।
‘पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, जिहादी कहलाना फायदा है?’
दरअसल, रिजिजू ने एक इंटरव्यू में कहा था कि भारत में अल्पसंख्यक को बहुसंख्यकों से ज्यादा सुविधाएं मिलती हैं। इस पर हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने सवाल उठाया कि क्या हर रोज पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, जिहादी या रोहिंग्या कहलाना ‘फायदा’ है?
क्या लिंचिंग होना ‘सुरक्षा’ है? क्या भारतीय नागरिकों का अपहरण करके बांग्लादेश में धकेल दिया जाना ‘सुरक्षा’ है? बता दें कि खुद केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजीजू भी अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं।
‘अल्पसंख्यकों को जो मिलता है, वह हिंदुओं को नहीं मिलता’
रिजिजू ने केंद्र कहा कि सरकार अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों से ज्यादा फंड और मदद दे रही है। उन्होंने कहा, ‘हिंदुओं को जो मिलता है, वह अल्पसंख्यकों को भी मिलता है। लेकिन अल्पसंख्यकों को जो मिलता है, वह हिंदुओं को नहीं मिलता।’
रिजिजू ने अपने इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के सिद्धांत की बात की थी। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने ‘भागीदारी से भाग्योदय’ के मंत्र को अपनाया है। इससे शिक्षा, कौशल विकास, उद्यमिता और समावेश पर ध्यान दिया जा रहा है।
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