नई दिल्ली, 26 जुलाई : दिल्ली-एनसीआर में 15 साल पुराने डीजल और 10 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर लगाए गए कोर्ट के प्रतिबंध पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार प्रदूषण को कम करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन यह भी सच है कि पूर्व की सरकारों की नीतियों के कारण आज यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
रेखा गुप्ता ने यह भी उल्लेख किया कि यदि पहले उचित कदम उठाए गए होते, तो शायद कोर्ट को इस तरह का आदेश देने की आवश्यकता नहीं पड़ती। उन्होंने कोर्ट से अपील की कि इस प्रतिबंध को हटाया जाए, क्योंकि ऐसा करने से लोगों की दैनिक जीवन में कठिनाई बढ़ सकती है।
वाहनों की फिटनेस देखना जरूरी है
सीएम ने आगे कहा कि उनकी सरकार ने इस मुद्दे पर कोर्ट में एक एप्लिकेशन दायर की है, जिसमें उन्होंने अनुरोध किया है कि कोर्ट का आदेश वाहनों की फिटनेस के आधार पर होना चाहिए। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि कार्रवाई भी केवल उन वाहनों के लिए होनी चाहिए जो सही तरीके से कार्य कर रहे हैं।
रेखा गुप्ता ने बुजुर्ग लोगों का भी जिक्र किया, जो कभी-कभी अपनी गाड़ी का उपयोग करते हैं। यदि फिट वाहनों को जब्त किया जाता है, तो यह लोगों के लिए न केवल असुविधाजनक होगा, बल्कि उनके लिए मानसिक तनाव का कारण भी बन सकता है।
सरकार द्वारा मुद्दा कोर्ट में उठाया गया है
आपको बता दें कि दिल्ली सरकार ने कोर्ट के इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार करने की बात कही है। दिल्ली सरकार ने कोर्ट से 2018 के आदेश पर फिर से विचार करने की मांग की है। कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि बी.एस.-6 वाहन बी.एस.-4 वाहनों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाते हैं। दिल्ली सरकार ने मांग की है कि अदालत केंद्र सरकार या वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को निर्देश दे कि वो हृष्टक्र में सभी श्रेणियों के 15 या उससे ज़्यादा साल पुराने पेट्रोल और 10 या उससे ज़्यादा साल पुराने डीज़ल वाहनों के चलने पर व्यापक, वैज्ञानिक अध्ययन के आदेश दे।
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