नई दिल्ली, 31 दिसम्बर : उत्तर-पूर्वी राज्यों और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में नागरिकों के खिलाफ नस्ली भेदभाव और हिंसा को रोकने में “लगातार संवैधानिक असफलता” को दूर करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। यह याचिका त्रिपुरा के 24 वर्षीय एमबीए छात्र एंजल चकमा की हत्या के संदर्भ में 28 दिसंबर को दायर की गई थी।
चकमा की 27 दिसंबर को देहरादून के सैलाकी क्षेत्र में नस्ली हमले में गंभीर चोटें लगने के कारण मौत हो गई थी। वह अगरतला के होली क्रास स्कूल से ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद एमबीए के लिए देहरादून गया था। घटना के समय उसके छोटे भाई माइकल की मौजूदगी में चाकू मारकर उसकी हत्या कर दी गई। चकमा के परिवार ने सभी आरोपीयों के लिए मृत्युदंड या कम से कम आजीवन कारावास की मांग की है।
याचिका में मुख्य मांगें
दिल्ली के वकील अनुप प्रकाश अवस्थी ने केंद्र सरकार और सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को इस जनहित याचिका में पक्ष बनाया है। याचिका में कहा गया है कि:
- उत्तर-पूर्वी राज्यों और सीमावर्ती क्षेत्रों में भारतीय नागरिकों के खिलाफ नस्ली भेदभाव और हिंसा के मामलों में न्यायिक हस्तक्षेप आवश्यक है।
- केंद्र और राज्य सरकारें प्रत्येक जिले/महानगर में नस्ली अपराधों से निपटने के लिए समर्पित विशेष पुलिस यूनिट का गठन करें।
याचिका में यह भी मांग की गई है कि केंद्र और राज्य स्तर पर ऐसे मामलों की निगरानी और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। यह कदम भारत में नस्ली हिंसा और भेदभाव के खिलाफ न्यायिक हस्तक्षेप की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
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