हापुड़, 26 मई : मोनाड यूनिवर्सिटी की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, उसके फर्जीवाड़े की परतें खुलती जा रही हैं। एसटीएफ और पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि पांच साल में करीब 2700 लोगों को यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री दी गई है, जबकि 3000 लोगों को फर्जी डिग्री देकर गुरुग्राम की प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए विदेश भेजा गया है।बी.ए. डिग्री वाले युवाओं को फर्जी मास्टर्स और बी.एड. डिग्री देकर विश्वविद्यालय में ही नौकरी दे दी गई।
सहयोगी यूनिवर्सिटीयों की डिग्री की भी होगी जांच
एसटीएफ मोनाड की सहयोगी विश्वविद्यालय डिग्रियों की भी जांच करने की तैयारी कर रही है। विश्वविद्यालय फर्जी डिग्रियों के लिए मनमाना दाम वसूलता था। इसके साथ ही यह गारंटी भी दी गई कि कोई भी इसे नकली नहीं पहचान पाएगा। विश्वविद्यालय संबंधित कंपनी के साथ पत्राचार करके डिग्री की वैधता की पुष्टि भी करेगा। कई मामलों में जब संबंधित कंपनी की टीम डिग्री धारकों के रिकॉर्ड देखने विश्वविद्यालय पहुंची तो बताया गया कि विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड आग से नष्ट हो गए हैं। यह डिग्री बिल्कुल असली है।
अधिकारियों को संदेह है कि विश्वविद्यालय के अध्यक्ष विजेंद्र हुड्डा अन्य विश्वविद्यालयों में भी जाली डिग्रियां बेचने का कारोबार चला रहे हैं। इस संदर्भ में संबंधित विश्वविद्यालयों की जांच की भी तैयारी की जा रही है।
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