लखनऊ, 5 नवम्बर : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने गैरकानूनी धर्मांतरण रोकथाम अधिनियम और अपहरण समेत अन्य धाराओं में दर्ज एफआईआर को खारिज कर दिया है। अदालत ने राज्य सरकार पर 75,000 रुपये का जुर्माना लगाया और आरोपियों को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि यह मामला इस बात का उदाहरण है कि कैसे राज्य के अधिकारी एफआईआर के आधार पर अंक हासिल करने में एक-दूसरे से आगे निकलने की कोशिश कर रहे हैं।
न्यायमूर्ति अब्दुल मोइन और न्यायमूर्ति बबीता रानी की खंडपीठ ने उम्मेद उर्फ उबैद खान और अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश पारित किया। मामला बहराइच ज़िले के मटेरा थाने का है। शिकायतकर्ता पंकज कुमार ने 13 सितंबर को एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनकी पत्नी वंदना वर्मा, अवैध धर्मांतरण रैकेट चलाने वाले आरोपियों के बहकावे में आकर घर से गहने और नकदी लेकर फरार हो गई हैं।
जाँच के दौरान, 15 सितंबर को वंदना ने पुलिस के सामने अपने पति के आरोपों का समर्थन किया। हालाँकि, 19 सितंबर को मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए अपने बयान में उसने कहा कि वह अपने पति की प्रताड़ना के कारण दिल्ली गई थी। कथित पीड़िता ने हाईकोर्ट में भी पेश होकर आरोप लगाया कि पुलिस को दिया गया उसका बयान उसके पति के दबाव में दिया गया था।
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