नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के क्षेत्र में भारत की स्थिति को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की और देश को वैश्विक एआई केंद्र के रूप में विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यदि भारत को 21वीं सदी की महाशक्ति बनना है, तो उसे एआई क्रांति का नेतृत्व करने में सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान चड्ढा ने उल्लेख किया कि अमेरिका के पास चैटजीपीटी, जेमिनी और ग्रोक जैसे उन्नत एआई मॉडल हैं, जबकि चीन के पास डीपसी और बायडू जैसे प्लेटफार्म हैं, जो उन्होंने पांच साल पहले विकसित किए थे।
अमेरिका और चीन कहीं आगे
चड्ढा ने यह भी सवाल उठाया कि इस संदर्भ में भारत की स्थिति क्या है। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 2010 से 2022 के बीच दुनिया भर में दायर एआई पेटेंट में से 60 प्रतिशत अमेरिका से और 20 प्रतिशत चीन से थे, जबकि भारत ने केवल 0.5 प्रतिशत पेटेंट दायर किए। यह आंकड़े भारत की एआई क्षेत्र में प्रगति की कमी को दर्शाते हैं और यह स्पष्ट करते हैं कि देश को इस दिशा में तेजी से कदम उठाने की आवश्यकता है।
भारत के लोगों में हैं काफी क्षमता
आप के राज्यसभा सदस्य ने यह भी कहा कि भारत में अत्यधिक प्रतिभाशाली और मेहनती लोग मौजूद हैं, जो इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि विश्व के एआई कार्यबल का 15 प्रतिशत हिस्सा भारत से है, जो इस बात का संकेत है कि यदि सही दिशा में प्रयास किए जाएं, तो भारत एआई के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी बन सकता है। चड्ढा ने इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि भारत वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सके।
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