नई दिल्ली, 28 मार्च : भारत लगातार विकास की नई नई ऊंचाईयों को छू रहा है। इसी दिशा में तेजी से बढ़ते हुए अब भारत सरकार ने जानकारी दी है कि वर्तमान में 65 प्रतिशत रक्षा उपकरण देश में ही निर्मित किए जा रहे हैं, जो देशके लिए गर्व की बात है। पहले की 65-70 प्रतिशत आयात पर निर्भरता से एक ‘महत्वपूर्ण परिवर्तन’ है। यह बदलाव भारत की रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। रक्षा मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी किए गए एक तथ्य पत्र के अनुसार, ‘मेक इन इंडिया’ पहल के आरंभ के बाद से भारत का रक्षा उत्पादन ‘असाधारण गति’ से बढ़ा है, और यह 2023-24 में रिकॉर्ड 1.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
उच्च क्वालिटी उत्पादों की विदेशों में भी डिमांड
भारत के विविध निर्यात पोर्टफोलियो में बुलेटप्रूफ जैकेट, डोर्नियर (डीओ-228) विमान, चेतक हेलीकॉप्टर, तेज गति की इंटरसेप्टर नौकाएं और हल्के वजन वाले टारपीडो शामिल हैं। मंत्रालय ने यह भी बताया कि ‘मेड इन बिहार’ जूते अब रूसी सैन्य साज-सामान का हिस्सा बन गए हैं, जो भारत के उच्च विनिर्माण मानकों को दर्शाता है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो न केवल देश की उत्पादन क्षमता को बढ़ाती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को भी मजबूत करती है।
मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया कि एक समय था जब भारत विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर था, लेकिन अब देश ने आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यह न केवल रक्षा क्षेत्र में, बल्कि समग्र आर्थिक विकास में भी योगदान दे रहा है। आत्मनिर्भरता की इस दिशा में बढ़ते कदम भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाने की दिशा में अग्रसर कर रहे हैं, जिससे देश की सुरक्षा और सामरिक क्षमता में भी वृद्धि हो रही है।
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