टोरंटो, 17 अप्रैल : कनाडा में आम चुनाव के लिए मतदान 28 अप्रैल को होना है और प्रचार अभियान अपने चरम पर है। डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा कनाडा को संयुक्त राज्य अमेरिका का 51वां राज्य बनाने और भारी टैरिफ लगाने की धमकी के बाद कनाडा के चुनाव दिलचस्प हो गए हैं। वास्तव में, हाल तक सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी से पीछे नजर आ रही थी। इसके कारण जस्टिस ट्रूडो को भी प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और उनकी जगह मार्क कार्नी को प्रधानमंत्री बनाया गया।
लेकिन अब जनता की राय बदल गई है। जनवरी के मध्य में नैनोस द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण में बताया गया था कि लिबरल्स कंजर्वेटिव पार्टी से 47 फीसदी से 20 फीसदी पीछे हैं। बुधवार को जारी नवीनतम नैनोस सर्वेक्षण में लिबरल्स 8 प्रतिशत अंकों से आगे हैं। जनवरी के सर्वेक्षण में त्रुटि का मार्जिन 3.1 अंक था जबकि नवीनतम सर्वेक्षण में यह मार्जिन 2.7 अंक था।
ट्रम्प की धमकियों पर कड़े रुख से मिली लोकप्रियता
अब ट्रंप की धमकी के बाद जिस तरह से लिबरल पार्टी ने कड़ा रुख अपनाया है, उससे पार्टी की लोकप्रियता में बढ़ोतरी देखी गई है। यही कारण है कि जहां लिबरल पार्टी चुनाव में ट्रंप का सामना करने का मुद्दा उठा रही है, वहीं विपक्षी कंजर्वेटिव पार्टी बदलाव की मांग कर रही है। बुधवार को फ्रेंच भाषा के नेताओं की बहस के दौरान मार्क कार्नी और पियरे पोइलिवर के बीच मुकाबला हुआ। इस बीच, प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा, इस चुनाव में सवाल यह है कि राष्ट्रपति ट्रम्प का सामना कौन करेगा।
विपक्षी पार्टी ने बदलाव की अपील की
इस बीच, पियरे पोइलिवरे ने परिवर्तन पर जोर दिया और कहा कि लोगों को लिबरल पार्टी को चौथा कार्यकाल नहीं देना चाहिए। पोइलिवर के अनुसार, कार्नी अपने पूर्ववर्ती जस्टिन ट्रूडो के समान हैं। मॉन्ट्रियल के मैकगिल विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर डैनियल बेलैंड ने कहा, कार्नी ने सुरक्षित खेलते हुए ऐसी बड़ी गलतियां नहीं कीं, जो क्यूबेक में दौड़ की गतिशीलता को बदल सकती थीं। मुझे नहीं लगता कि इस बहस का क्यूबेक की दौड़ पर कोई बड़ा प्रभाव पड़ेगा, जहां लिबरल्स का वर्चस्व बना हुआ है।
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