काबुल/नई दिल्ली, 17 मई : भारत ने पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के संदर्भ में एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है। अधिकारियों के अनुसार, भारत अफगानिस्तान के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए साहसिक कदम उठाने का निर्णय लिया है। यह स्पष्ट है कि भारत काबुल के साथ अपने संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के लिए आवश्यक सभी उपाय करेगा।
यह जानकारी ‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट में दी गई है, जो विदेश मंत्री एस. जयशंकर और कार्यवाहक अफगान विदेश मंत्री मावलवी आमिर खान मुत्ताकी के बीच हुई बातचीत के एक दिन बाद सामने आई है। इस नई रणनीति के चलते पाकिस्तान की प्रतिक्रिया में निश्चित रूप से बेचैनी देखने को मिलेगी।
अफगान शरणार्थियों को सहायता पर विचार
अफगानिस्तान से संबंधों को मजबूत करने की दिशा में भारत उन अफगान शरणार्थियों को मानवीय सहायता देने पर विचार करेगा, जिन्हें पाकिस्तान ने जबरन वापस भेजा है। गुरुवार 15 मई को मुत्ताकी के साथ बातचीच में जयशंकर ने अफगानिस्तान में प्रत्यक्ष मानवीय सहायता बढ़ाने का संकेत दिया था। इसके साथ ही तालिबान प्रशासन की कुछ आवश्यकताओं पर नई दिल्ली में विचार किया जा रहा है, जिसे मुत्ताकी ने इसी साल 8 जनवरी को दुबई में विदेश सचिव विक्रम मिसरी से मुलाकात के दौरान उठाया था।
काबुल को लेकर प्लान रेडी
तालिबान ने मुत्ताकी के आगामी बहुराष्ट्रीय दौरे को अफगानिस्तान की सक्रिय विदेश नीति का हिस्सा बताया है, जो दक्षिण एशिया में काबुल की संतुलित स्थिति को आकार दे रही है। नई दिल्ली में अधिकारियों ने संकेत दिया है कि भारत तालिबान के संबंध में जो भी आवश्यक है, वह करने को तैयार है। अगस्त 2021 में तालिबान के काबुल पर काबिज होने के बाद भारत ने दूतावास से अधिकारियों को बुलाने के साथ ही कंधार और मजार-ए-शरीफ में भी मिशनों को खाली कर दिया था। हालांकि, पिछले दो वर्षों में नई दिल्ली ने तालिबान के साथ संपर्क बढ़ाया है और दोनों देशों के अधिकारियों की मुलाकातें होती रही हैं।
यह भी देखें : https://bharatdes.com/man-arrested-for-sending-military-intelligence-to-pakistan/
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