चंडीगढ़, 15 दिसम्बर : अदालत ने निजी कॉलेज की यह दलील स्वीकार नहीं की कि वह अनुदान-रहित (ग्रांट-इन-एड नहीं) संस्था है और अपनी फीस संरचना तय करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है। सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि फीस निर्धारण की स्वतंत्रता का अर्थ यह नहीं है कि संस्थान छात्रों का शोषण करें या मुनाफाखोरी में लिप्त हों।
इंटर्नशिप भत्ते की दर बढ़ाने की मांग पर अदालत ने कोई आदेश जारी नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि फिलहाल इंटर्नशिप के लिए न्यूनतम या समान दर तय करने का कोई कानूनी ढांचा मौजूद नहीं है और इस विषय पर नीति बनाना संबंधित सक्षम प्राधिकरण का कार्य है।
हालांकि, याचिकाओं को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए अदालत ने निजी कॉलेज को आदेश दिया है कि इंटर्नशिप अवधि के दौरान वसूली गई पूरी ट्यूशन फीस केवल याचिकाकर्ता छात्रों को तीन महीने के भीतर वापस की जाए।
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