पीलीभीत, 25 मई : पंजाब के सीमावर्ती जिलों की तरह यूपी में नेपाल सीमा से सटे गांवों में सिखों को ईसाई बनाने की बड़ी साजिश रची जा रही है। स्थानीय सिख संगठनों का दावा है कि नेपाल के पादरी और कुछ स्थानीय पादरी सिखों को धन का लालच देकर, मकान बनाकर और उपचार सत्र आयोजित करके ईसाई धर्म में परिवर्तित कर रहे हैं।
स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जो लोग धर्म परिवर्तन के लिए तैयार नहीं हैं, उनके खेतों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है और उन पर हमले किए जा रहे हैं।
धर्म परिवर्तन से इनकार करने पर एक पादरी और भीड़ ने एक सिख महिला और उसकी बेटी पर हमला कर दिया। प्रशासन ने धर्म परिवर्तन के आरोपों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है।
इन स्थानों पर अधिक मामले
ईसाई मिशनरियों का नेटवर्क सीमावर्ती गांवों तातारगंज, बेल्हा, बमनपुर भागीरथ, बाजारघाट और सिंघाड़ा से लेकर पूरनपुर कस्बे तक फैला हुआ है। पूरनपुर कस्बे में दो साल में धर्म परिवर्तन की पांच एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। इन सभी मामलों में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने कल्याण सभाओं पर छापे मारे। उनका दावा है कि ईसाई मिशनरी हीलिंग सोसाइटी की आड़ में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बहला-फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन करा रहे हैं।
कस्बे में तीन-चार महीने तक नियंत्रण में रहने के बाद सीमावर्ती गांवों में मामले सामने आने लगे। 10 मई को महिला मंजीत कौर ने बताया कि एक ईसाई मिशनरी के लोगों ने रिश्वत का लालच देकर उसके पति का धर्म परिवर्तन करा दिया है। उन्होंने दावा किया कि पादरी अर्जुन और 55 अन्य लोगों ने उनका और उनकी बेटी का जबरन धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास किया। उनके साथ मारपीट की गई तथा उनकी नाबालिग बेटी के साथ भी दुराचार का प्रयास किया गया।
शिकायत के बाद सिख संगठन सक्रिय
महिला की शिकायत पर आठ लोगों को नामजद करते हुए 56 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। इसके बाद सिख संगठन सक्रिय होने लगे। 16 मई को अखिल भारतीय सिख पंजाबी कल्याण परिषद के अध्यक्ष हरपाल सिंह जग्गी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि तीन हजार सिख परिवारों का धर्म परिवर्तन कराया गया है। इनमें से 150 परिवारों के नाम और पते सूचीबद्ध कर डीएम को सौंप दिए गए हैं।
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