शिमला, 21 जून : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को सेवा में वृद्धि देने के विरोध में दाखिल जनहित याचिका का जवाब न देने पर राज्य सरकार पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि 25 जून को मुख्य सचिव की सेवा विस्तार के विरोध में मांगी गई अंतरिम राहत पर विचार किया जाएगा।
कोर्ट की सरकार पर सख्त टिप्पणी
कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार लोगों को न्याय से वंचित करने के लिए ‘छुपम-छुपाई’ का खेल खेल रही है। कभी रेरा (रीयल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) के मुख्यालय को धर्मशाला स्थानांतरित करने के बहाने, तो कभी नियुक्ति के मामलों पर विचार करने के बावजूद रेरा के अध्यक्ष और सदस्य की नियुक्ति नहीं की जा रही है। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि यह जुर्माना 25 जून तक हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पास जमा कराया जाए। साथ ही रेरा के अध्यक्ष और सदस्य की नियुक्ति को लेकर हलफनामा दाखिल करने का आदेश भी दिया गया है।
प्रबोध सक्सेना को सेवा वृद्धि रिपोर्ट में गड़बड़
आरोप है कि प्रबोध सक्सेना को सेवा वृद्धि की मंजूरी देते समय केंद्र सरकार के समक्ष पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई थी। प्रशासनिक सुधारों पर संसदीय समिति ने भ्रष्टाचार की जांच का सामना कर रहे अधिकारियों को बचाने के लिए सेवा विस्तार के दुरुपयोग पर चिंता जताई है। यह भी आरोप लगाया गया है कि प्रबोध सक्सेना ने मुख्य सचिव और प्रमुख प्रशासनिक सचिव (वित्त) के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अपने पद का दुरुपयोग किया। इस मामले की अगली सुनवाई 25 जून को होगी।
यह भी देखें : ईडी ने पूर्व दिल्ली सरकार की फाइलें और 300 से अधिक पासबुक जब्त कीं

More Stories
श्रीनगर से जम्मू पहुंचे नगर कीर्तन का संगतों ने किया भव्य स्वागत
दिल्ली दंगों पर दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट से क्या कहा?
नासा की तस्वीरों में दिखा अनोखा नजारा, लोगों ने कहा ये कोई एलियन है