नई दिल्ली, 4 नवम्बर : बालाघाट में 14 लाख रुपये की इनामी नक्सली सुनीता के आत्मसमर्पण को एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। खास बात यह है कि महज 22 साल की सुनीता कुख्यात माओवादी कमांडर सेंट्रल कमेटी मेंबर (सीसीएम) रामदार की सुरक्षा गार्ड रह चुकी थी।
सुनीता को देखकर सभी आश्चर्यचकित हो गए
जब सुनीता ने आत्मसमर्पण किया, तो वह एक मासूम बच्ची लग रही थी और उसे देखकर सब हैरान रह गए। उसके हाथों में हथियार और चेहरे के अजीब भाव सुनीता की मनःस्थिति को बयां कर रहे थे। सब हैरान थे कि इतनी कम उम्र की लड़की इतना खतरनाक काम कैसे कर सकती है। जब सुनीता अपनी इंसास राइफल और तीन मैगज़ीन हाथ में लेकर आत्मसमर्पण करने पहुँची, तो सब हैरान रह गए।
पुलिसवाले उसे “बेटा” कहकर बुला रहे थे और उसके बारे में जानना चाह रहे थे, लेकिन सुनीता शायद लोगों की नज़रों से डरी हुई थी। वह ज़्यादा कुछ नहीं बता पा रही थी।
तीन राज्यों की सरकारों ने 14 लाख रुपये का इनाम रखा था
सुनीता के आत्मसमर्पण का महत्व आप इस तरह समझ सकते हैं कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र सरकारों ने उस पर 14 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। सुनीता 2022 में माओवादी संगठन में शामिल हुई और माड़ इलाके में छह महीने की कड़ी ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद, उसे तुरंत रामदार टीम में सुरक्षा गार्ड के रूप में नियुक्त कर दिया गया, जो सबसे प्रमुख कमांडरों में से एक थी।
सुनीता के पुनर्वास का ध्यान रखेगी सरकार
गौरतलब है कि सरकार के अनुरोध पर 80 से ज़्यादा नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। सरकार ने उनके लिए “पुनर्वास योजना” लागू की है, जिससे वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकेंगे। मध्य प्रदेश सरकार की आत्मसमर्पण नीति के तहत उन्हें पुरस्कार और पुनर्वास लाभ मिलेंगे। सुनीता को मुख्यधारा में लौटने और फिर से अपनी ज़िंदगी शुरू करने में भी सरकार पूरी मदद करेगी।
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