चंडीगढ़, 10 दिसम्बर : पंजाब सरकार ने शहरी विकास को बढ़ावा देने के लिए मोहाली में नौ नए सेक्टर और न्यू चंडीगढ़ में दो नई टाउनशिप विकसित करने की तैयारी कर ली है। इसके लिए सरकार 5100 एकड़ से अधिक भूमि का अधिग्रहण कर रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की धारा 11 के तहत मोहाली में 4059 एकड़ भूमि के अधिग्रहण के लिए जल्द ही अधिसूचना जारी की जाएगी।
विशेषज्ञ समिति ने इसे मंजूरी दे दी
योजना के अनुसार, मोहाली में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास स्थित एयरोट्रोपोलिस (ब्लॉक ई से जे) के विस्तार के लिए 3535 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, नए सेक्टर 87 (वाणिज्यिक), 101 (आंशिक) और 103 (औद्योगिक) के लिए 524 एकड़ भूमि आरक्षित की गई है। इस संबंध में, कानून के अनुसार आवश्यक सामाजिक प्रभाव आकलन का कार्य पूरा कर लिया गया है और विशेषज्ञ समिति ने इसे मंजूरी दे दी है।
दूसरी ओर, न्यू चंडीगढ़ में पहले से ही अधिग्रहित की जा रही 1048 एकड़ भूमि के लिए मुआवजे के दस्तावेज तैयार कर लिए गए हैं। इनमें इको सिटी-3 के लिए 720 एकड़ और मेडिसिटी के पास बनने वाली नई टाउनशिप के लिए 328 एकड़ भूमि शामिल है। इन दस्तावेजों की घोषणा जल्द ही होने की संभावना है, जिससे जमीनी स्तर पर विकास कार्य शुरू हो सकेगा।
महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार ने इस वर्ष जून में अपनी प्रमुख ‘भूमि संचय नीति’ के तहत 6285 एकड़ भूमि के अधिग्रहण को मंजूरी दी थी। इस नीति के तहत किसानों को नकद मुआवजे के बजाय विकसित भूखंड दिए जाने थे। लेकिन किसानों के कड़े विरोध और उच्च न्यायालय द्वारा लगाए गए अंतरिम रोक आदेश के कारण सरकार को अगस्त में यह नीति वापस लेनी पड़ी। किसानों को आशंका थी कि भूमि संचय नीति से भूमि पर उनका नियंत्रण कम हो जाएगा।
भूमि संचय नीति बनाम भूमि अधिग्रहण कानून
पंजाब सरकार ने मोहाली और नए चंडीगढ़ के विकास के लिए भूमि संग्रहण नीति को रद्द करते हुए पुराने ‘भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013’ को फिर से लागू कर दिया है। इन दोनों प्रक्रियाओं में भूस्वामियों के अधिकारों और मुआवजे में कई अंतर हैं। रद्द की गई भूमि संग्रहण नीति के तहत, सरकार को जमीन के बदले नकद राशि के बजाय विकसित आवासीय, वाणिज्यिक या औद्योगिक भूखंड उपलब्ध कराने थे, लेकिन वर्तमान भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत, सरकार जमीन का अधिग्रहण करती है और बदले में बाजार दर के अनुसार नकद मुआवजा, विस्थापन भत्ता और पुनर्वास लाभ प्रदान करती है।
इसी तरह, भूमि संग्रहण नीति में किसानों की सहमति अनिवार्य नहीं थी और यह नीतिगत थी। दूसरी ओर, वर्तमान कानून के तहत सामाजिक प्रभाव आकलन अनिवार्य है। इसमें नियमित रूप से जन सुनवाई होती है, आपत्तियां आमंत्रित की जाती हैं और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होती है।
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