कलानौर, 21 मई : जल स्तर में गिरावट एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिसके चलते विभिन्न देशों और राज्यों के बीच जल विवाद उत्पन्न हो रहे हैं। इस संकट का सामना करने के लिए सीमावर्ती जिले गुरदासपुर के समझदार किसान और लोग सक्रियता से कदम उठा रहे हैं। गेहूं की कटाई के बाद, वे अपने खेतों में बड़े पैमाने पर भूमिगत पाइपों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे जल संरक्षण में मदद मिल सके।
किसानों को जल स्तर सुधारने की प्रेरणा
भूमि एवं जल संरक्षण विभाग भी किसानों को जल स्तर को सुधारने के लिए प्रेरित कर रहा है। इस क्षेत्र के कई गांवों में, जल स्रोतों की रक्षा के लिए भूमिगत पाइपों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। किसान मनदीप सिंह, रवदीप सिंह, तरसेम सिंह, सुखविंदर सिंह, करतार सिंह, राजविंदर सिंह और बलदेव सिंह जैसे स्थानीय किसान बताते हैं कि वे वाष्पीकरण को रोकने के लिए अपने खेतों में भूमिगत पाइपें डाल रहे हैं, जिससे जल स्रोतों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और सिंचाई की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाया जा सके।
भूमिगत पाइपों के लिए सब्सिडी दी जा रही है : कंग
इस संबंध में जब जिला गुरदासपुर के मृदा एवं जल संरक्षण विभाग के अधिकारी हरचरण सिंह कंग से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पंजाब में भूजल स्तर लगातार घट रहा है। पानी के दुरुपयोग को रोकने के लिए पंजाब सरकार भारत सरकार के सहयोग से राज्य में सूक्ष्म सिंचाई योजनाओं के अलावा भूमिगत पाइपलाइन बिछाने की योजनाएं भी क्रियान्वित कर रही है।
तुपका सिंचाई योजना के तहत सामान्य भूमि मालिक को 80 प्रतिशत तथा महिलाओं, छोटे किसानों तथा अनुसूचित जाति के किसानों को 90 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है। इसके अलावा, पंजाब सरकार भूमिगत पाइप बिछाने वाले भूमि मालिकों को 50 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है, तथा पंचायतों द्वारा मोघे नहर से पाइपलाइन बिछाकर सिंचाई के लिए इन परियोजनाओं पर पंजाब सरकार द्वारा 100 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है।
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