नई दिल्ली, 23 मई : डिजिटल भुगतान करने वाले उपयोगकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण सूचना सामने आई है। अब कुछ विशेष मोबाइल नंबरों पर यूपीआई लेनदेन को रोकने की व्यवस्था की जा सकती है। यह कदम साइबर धोखाधड़ी के मामलों को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है। दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने बुधवार को यह घोषणा की कि वह बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और यूपीआई सेवा प्रदाताओं के साथ वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (एफआरआई) डेटा साझा करेगा।
इस डेटा के माध्यम से यह निर्धारित किया जाएगा कि किन मोबाइल नंबरों पर वित्तीय धोखाधड़ी का खतरा अधिक है। इसके परिणामस्वरूप, उन नंबरों पर डिजिटल लेनदेन को या तो पूरी तरह से ब्लॉक किया जाएगा या फिर अत्यधिक सतर्कता के साथ संपन्न किया जाएगा।
क्या है एफआरआई प्रणाली
एफआरआई एक प्रकार की जोखिम मूल्यांकन प्रणाली है जो मोबाइल नंबरों को तीन श्रेणियों में विभाजित करती है: मध्यम जोखिम, उच्च जोखिम और बहुत उच्च जोखिम। ये आंकड़े सरकार के डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी) के माध्यम से तैयार किए गए हैं। इन नंबरों की पहचान के लिए I4C के राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) और DoT के चक्षु पोर्टल से जानकारी ली जाती है।
जैसे ही किसी मोबाइल नंबर पर संदेह होता है, उसकी जांच की जाती है और जोखिम के स्तर के अनुसार उसे टैग किया जाता है। इसके बाद यह जानकारी तुरंत सभी यूपीआई ऐप और बैंकों को भेज दी जाती है।
गूगल पे और पेटीएम भी इसमें शामिल होंगे।
फोनपे इस प्रणाली को अपनाने वाला पहला यूपीआई ऐप बन गया है। फोनपे ‘प्रोटेक्ट’ नामक फीचर के माध्यम से, ऐप अब उच्च जोखिम वाले नंबरों के साथ लेनदेन करने से स्पष्ट रूप से मना कर देगा। मध्यम जोखिम वाले नंबरों के लिए, उपयोगकर्ता को पहले चेतावनी दी जाएगी और पुष्टि के बाद ही भुगतान की अनुमति दी जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि जल्द ही गूगल पे और पेटीएम जैसे प्रमुख यूपीआई प्लेटफॉर्म भी इस सुविधा को अपना लेंगे।
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