इस्लामाबाद, 25 अप्रैल : आधुनिक युग में युद्ध की सफलता का निर्धारण मुख्य रूप से स्थितिजन्य जागरूकता पर निर्भर करता है। यदि भारत पाकिस्तान के साथ संघर्ष में उलझता है, तो सबसे पहले उसे पाकिस्तान की वायुसेना की गहरी हमले की क्षमताओं को नष्ट करना होगा। यह आवश्यक है कि भारतीय वायुसेना एक ऐसी रणनीति विकसित करे, जो पाकिस्तान की वायुसेना की प्रभावशीलता को कम कर दे। यदि भारत पाकिस्तान की गहरी हमले की क्षमताओं को निष्क्रिय कर देता है, तो दुश्मन के पास आत्मसमर्पण के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचेगा।
एयरबोर्न अर्ली वार्निंग और कंट्रोल सिस्टम पर करनी होगी चोट
विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय वायुसेना को पाकिस्तान के एयरबोर्न अर्ली वार्निंग और कंट्रोल सिस्टम को सबसे पहले नष्ट करना चाहिए। ये सिस्टम पाकिस्तान की आक्रमण क्षमता को बढ़ाते हैं और उन्हें अपने हमलों को प्रभावी ढंग से संचालित करने में मदद करते हैं। यदि इन सिस्टमों को नष्ट कर दिया जाता है, तो पाकिस्तान की वायुसेना की स्थिति कमजोर हो जाएगी, जिससे भारत को युद्ध में बढ़त हासिल करने में मदद मिलेगी।
पाकिस्तानी वायुसेना की तोडऩी होगी कमर
इस प्रकार, भारत को अपनी वायुसेना की रणनीतियों को इस तरह से तैयार करना होगा कि वह पाकिस्तान की वायुसेना की क्षमताओं को पहले ही समाप्त कर दे। यह न केवल युद्ध के मैदान में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि पाकिस्तान को भी अपनी आक्रामकता को कम करने के लिए मजबूर करेगा। इस प्रकार की रणनीतिक योजना युद्ध की दिशा को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
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