चंडीगढ़, 2 अप्रेल : हाईकोर्ट ने कहा है कि पंजाब पुलिस में पदों के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के खिलाफ अगर कोई एफआईआर दर्ज है तो इसकी जानकारी देना अनिवार्य है। यदि कोई उम्मीदवार यह तथ्य छिपाता है तो उसकी उम्मीदवारी खारिज की जा सकती है।
मामले में कांस्टेबल के पदों के लिए 2020 में विज्ञापन जारी किया गया था, जबकि आवेदक के खिलाफ 2018 में एफआईआर दर्ज की गई थी। ट्रायल कोर्ट ने 2019 में आरोप तय किए और आवेदन 2021 में दायर किया गया। न्यायमूर्ति जगमोहन बंसल ने पंजाब पुलिस नियमों का हवाला देते हुए कहा कि यदि किसी उम्मीदवार के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं तो उसे इस तथ्य की जानकारी देना जरूरी है।
अदालत ने कहा कि 2020 के विज्ञापन में स्पष्ट किया गया था कि चुनाव पंजाब पुलिस नियमों के अनुसार होंगे। याचिकाकर्ता एक महिला थी जो अनुसूचित जाति श्रेणी के अंतर्गत कांस्टेबल के पद के लिए आवेदन कर रही थी, जिसने लिखित परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी और उसे शारीरिक परीक्षण और दस्तावेज़ सत्यापन के लिए चुना गया था। पुलिस सत्यापन के दौरान पता चला कि उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और आरोप तय कर दिए गए हैं।
आवेदनकर्ता द्वारा छुपाए गए तथ्य
अदालत ने माना कि याचिकाकर्ता ने आवेदन में यह जानकारी नहीं दी थी, बल्कि सत्यापन पत्र में इसे छिपा लिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि कानून की अनदेखी नहीं की जा सकती और नियमों के अनुसार अभ्यर्थी आवेदन करने के लिए अयोग्य है। कोर्ट ने कहा कि यदि यह जानकारी हलफनामे में दी गई होती तो मामला अलग हो सकता था, लेकिन जानबूझकर जानकारी छिपाने के कारण अभ्यर्थी पद के लिए अयोग्य हो गया। अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि दया और करुणा के आधार पर नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता।
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