बीजिंग/वाशिंगटन, 27 दिसम्बर : चीन ने 20 अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंध लगाकर अमेरिका के खिलाफ एक बड़ा कदम उठाया है। यह कार्रवाई राष्ट्रपति शी जिनपिंग के निर्देश पर ताइवान को 11.1 अरब डॉलर के हथियार बिक्री पैकेज को मंजूरी देने के जवाब में की गई है। चीन के विदेश मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि ताइवान का मुद्दा चीन-अमेरिका संबंधों में एक ‘रेड लाइन’ है, जिसका उल्लंघन होने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी जाएगी। हालांकि, इन प्रतिबंधों को काफी हद तक प्रतीकात्मक माना जा रहा है क्योंकि इनमें से अधिकांश कंपनियों का चीन में कोई कारोबार नहीं है।
ताइवान मुद्दा: चीन की ‘रेड लाइन’
चीन के विदेश मंत्रालय ने एक कड़ा बयान जारी कर चेतावनी दी है कि ताइवान का मुद्दा चीन के मूल हितों का केंद्र है और चीन-अमेरिका संबंधों में यह ‘पहली लक्ष्मण रेखा’ है जिसे पार नहीं किया जा सकता। चीन का कहना है कि ताइवान के मुद्दे पर उकसावे की किसी भी कोशिश का कड़ा जवाब दिया जाएगा।
किन लोगों पर प्रतिबंध लगाया गया है?
सूत्रों के अनुसार, चीन ने हाल के वर्षों में ताइवान को हथियार आपूर्ति करने में शामिल 20 अमेरिकी सैन्य कंपनियों और 10 वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने का फैसला किया है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई काफी हद तक प्रतीकात्मक है क्योंकि लक्षित अमेरिकी रक्षा कंपनियों में से अधिकांश का चीन में कोई प्रत्यक्ष व्यावसायिक संचालन नहीं है।
चीन की अमेरिका को सलाह
चीन ने अमेरिका से ‘एक-चीन’ सिद्धांत का पालन करने और ताइवान को हथियार मुहैया कराने के खतरनाक कदम तुरंत रोकने का आग्रह किया है। चीन के अनुसार, अमेरिका के ऐसे कदम ‘ताइवान की स्वतंत्रता’ के लिए संघर्ष कर रहे अलगाववादी बलों को गलत संदेश देते हैं और क्षेत्रीय शांति को भंग करते हैं।
बाइडेन प्रशासन से भी बड़ा मामला
यह उल्लेखनीय है कि यदि अमेरिकी कांग्रेस इस 11.1 अरब डॉलर के हथियार सौदे को मंजूरी देती है, तो यह बिडेन प्रशासन के दौरान ताइवान को बेचे गए 8.4 अरब डॉलर के हथियारों से कहीं अधिक बड़ा सौदा होगा। चीन ताइवान को अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है और अमेरिका किसी भी संभावित हमले की आशंकाओं के मद्देनजर ताइवान की सुरक्षा को मजबूत करने में लगा हुआ है।
संक्षेप में कहें तो, चीन और अमेरिका के बीच संबंध वर्तमान में एक कांच के बर्तन की तरह हैं जिस पर ताइवान के रूप में बार-बार पत्थर से प्रहार किया जा रहा है, जो स्पष्ट रूप से दुनिया भर में सुरक्षा संबंधी चिंताओं की दरारें दिखा रहा है।
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