July 8, 2025

एडवोकेट धामी ने जेल में बंद सिखों के प्रति भारत सरकार की उदासीन नीति की निंदा की

एडवोकेट धामी ने जेल में बंद सिखों के...

जैतो, 27 मार्च : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने जेल में बंद सिखों की रिहाई के मुद्दे पर भारत सरकार द्वारा अपनाई जा रही उदासीन नीति की कड़ी आलोचना करते हुए सरकार के इस दृष्टिकोण को मानवाधिकारों का उल्लंघन, सिखों के साथ न्याय और अन्याय के मूल्यों पर कुठाराघात बताया है।

आज शिरोमणि कमेटी कार्यालय पहुंचे एडवोकेट धामी ने कहा कि सिखों के इस गंभीर मुद्दे पर शिरोमणि कमेटी पिछले काफी समय से लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन केंद्र सरकार का नकारात्मक रवैया इसमें बाधा बन गया है। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों भाई बलवंत सिंह राजोआना व अन्य जेल में बंद सिखों के मामले में श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा पांच सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी, लेकिन दुखद पहलू यह है कि प्रधानमंत्री ने सिखों की सर्वोच्च पीठ श्री अकाल तख्त साहिब का प्रतिनिधित्व करने वाली कमेटी को समय देना उचित नहीं समझा।

अधिवक्ता धामी ने कहा कि इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के कई प्रयास किए गए, लेकिन डेढ़ साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी सरकार की ओर से निराशाजनक जवाब मिला है। एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा कि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा एसजीपीसी को भेजी गई जानकारी के अनुसार, श्री अकाल तख्त साहिब की पांच सदस्यीय कमेटी द्वारा नजरबंद सिखों के संबंध में दिसंबर 2023 में प्रधानमंत्री से मुलाकात के लिए मांगे गए समय को 21 मार्च 2025 तक के लिए बंद कर दिया गया है, उन्होंने कहा कि यह मामला केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि यदि यह मामला केंद्रीय गृह मंत्रालय के विचाराधीन है तो फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद भाई बलवंत सिंह राजोआना के मामले में सरकार कोई निर्णय क्यों नहीं ले रही है।

भारत सरकार को बिना देरी के फैसला लेना चाहिए

उन्होंने कहा कि इससे पहले भी प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा था कि इस मामले को लेकर गृह मंत्री से बातचीत की जाए, लेकिन गृह मंत्रालय की ओर से भी कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया। एडवोकेट धामी ने कहा कि भाई राजोआना व अन्य जेल में बंद सिंहों के मामले सिख भावनाओं से जुड़े हैं और उन्होंने लंबी सजाएं भी काटी हैं, इसलिए भारत सरकार को बिना देरी के फैसला लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी के लिए समान रूप से कानून का शासन लागू करना सरकारों की जिम्मेदारी है और इस संबंध में राजनीतिक दृष्टिकोण सही नहीं है। इसलिए सरकार को जेल में बंद सिखों को न्याय दिलाकर अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए ताकि सिखों में अविश्वास की भावना पैदा न हो। इस अवसर पर शिरोमणि कमेटी सदस्य भाई राजिंदर सिंह मेहता, सरदार गुरमीत सिंह बूह, ओएसडी श्री सतबीर सिंह धामी भी उपस्थित थे।