चंडीगढ़, 26 मार्च : डीजीपी गौरव यादव ने सभी पुलिस आयुक्तों (सीपी) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों (एसएसपी) को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में मुख्य नशा तस्करों और आपूर्तिकर्ताओं की पहचान सात दिन के भीतर करें। पत्र के माध्यम से जारी इन निर्देशों का उद्देश्य राज्य में नशीली दवाओं के व्यापार को बढ़ावा देने वाली आपूर्ति श्रृंखला को व्यवस्थित रूप से नष्ट करना है।
सरकार द्वारा मादक पदार्थों के दुरुपयोग को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए 1 मार्च, 2025 को शुरू किए गए ‘ड्रग्स के विरुद्ध युद्ध’ के परिणामस्वरूप, राज्य भर में 2248 एफआईआर दर्ज करके 3957 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया गया है तथा उनसे 137.7 किलोग्राम हेरोइन सहित भारी मात्रा में मादक पदार्थ बरामद किए गए हैं।
डीजीपी ने अपने पत्र में कहा, “नागरिकों से प्राप्त फीडबैक और अन्य जानकारी से पता चलता है कि सड़क स्तर पर हेरोइन और अन्य नशीले पदार्थों की उपलब्धता में काफी कमी आई है।” हालांकि, नशीली दवाओं से संबंधित कानूनों के प्रवर्तन को सुव्यवस्थित और पेशेवर बनाने की आवश्यकता है, साथ ही ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में नशीली दवाओं की बिक्री करने वाले व्यक्तियों और आपूर्तिकर्ताओं के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करना भी आवश्यक है।
डीजीपी ने दी चेतावनी
डीजीपी ने चेतावनी देते हुए कहा कि नशीली दवाओं के स्रोतों के बारे में उचित जानकारी के बिना अस्पष्ट दावों को गैर-पेशेवर माना जाएगा। उन्होंने पुलिस कमिश्नरों/एसएसपी को निर्देश दिया कि सूची तैयार करने की प्रक्रिया साक्ष्य आधारित और व्यापक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि उचित मैपिंग नहीं की गई तो यह माना जाएगा कि आप (सीपी/एसएसपी) इस संबंध में व्यक्तिगत रुचि नहीं ले रहे हैं।
समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश देते हुए डीजीपी गौरव यादव ने स्पष्ट किया कि इस संबंध में किसी भी कीमत पर ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि रिपोर्टों के आधार पर मादक पदार्थ तस्करी नेटवर्क के मुख्य आपूर्तिकर्ताओं/तस्करों को गिरफ्तार करने के लिए लक्षित अभियान शुरू किए जाएंगे।
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