पटियाला, 26 मार्च : पंजाब यूनिवर्सिटी पर पेपर जमा करवाने, जांचने और सेटिंग का करोड़ों रुपए बकाया है। बकाया भुगतान न होने के कारण परीक्षकों ने हाथ खड़े करने शुरू कर दिए हैं, जिसके चलते इस बार पेपर चेकिंग भी पंजाबी यूनिवर्सिटी के लिए बड़ी समस्या बनेगी। सूत्रों के अनुसार 2016 से 2024 तक उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन की कुल राशि 10 करोड़ 333 लाख 92 हजार 375 रुपये है, जिसमें से अभी तक मात्र 01 करोड़ 57 लाख 31 हजार 780 रुपये का भुगतान किया गया है, जबकि 08 करोड़, 76 लाख 60 हजार 559 रुपये बकाया हैं। इसके अलावा पेपर और परीक्षा की तैयारी के लिए लगभग 7 करोड़ के भुगतान सहित कुल बकाया राशि लगभग 15 करोड़ रुपये बैठती है।
उत्तर प्रतियों के मूल्यांकन की आठ वर्षों की कुल बकाया राशि रु. 8 करोड़ 79 लाख 60 हजार 595 रुपए, जिसमें से दिसंबर/मई 2016 की बकाया राशि रु. 79 हजार 552, मई 2017 रु. 01,71,476, दिसम्बर 2017 रु. 03,81,337, मई 2018 रु. 3180337, दिसंबर 2018 रु. 1,38,54,618, मई 2019 रु. 2,22,23,743, दिसंबर 2019 रु. 1,13,71,972, मई 2020 रु. 11,38,330, दिसंबर 2020 रु. 33,68,189, मई 2021 रु. 19,18,879, दिसंबर 2021 रु. 22,84,771, मई 2022 के लिए बकाया राशि 1,05,53,609 रुपये है, दिसंबर 2022 के लिए 33,96,459 रुपये है, मई 2023 के लिए 51,72,054 रुपये है, दिसंबर 2023 के लिए 2,09,512 रुपये है और मई 2024 के लिए 83,54,512 रुपये है।
भुगतान न होने पर आंदोलन की चेतावनी
पंजाबी यूनिवर्सिटी के अधीन आने वाले कॉलेजों के सभी स्टाफ में असेसमेंट और ड्यूटी बकाया का भुगतान न होने के कारण भारी रोष है। कुछ कॉलेजों के पूरे स्टाफ ने पंजाबी यूनिवर्सिटी को पत्र लिखकर बकाया राशि का तुरंत भुगतान करने की मांग की है। सभी शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को चेतावनी दी गई है कि यदि भुगतान न होने के कारण भविष्य में उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन नहीं किया गया तो वे विरोध प्रदर्शन करेंगे। राज्य में विश्वविद्यालय के अधीन सभी कॉलेजों के कर्मचारी इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर लामबंद होने लगे हैं और आने वाले दिनों में इसका असर विश्वविद्यालय परिसर में भी देखने को मिल सकता है।
छात्र पीड़ित
पंजाबी यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी संगठन सेक्युलर यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया के मुख्य प्रवक्ता यादविंदर सिंह यादू का कहना है कि जून 2024 के पुनर्मूल्यांकन पेपर के नतीजों में देरी के कारण विद्यार्थियों को जून 2025 के परीक्षा फार्म भरने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, संबंधित विद्यार्थियों को परीक्षा शुल्क के साथ 1200 रुपये विलंब शुल्क भी देना होगा, क्योंकि फार्म भरने की अंतिम तिथि 15 मार्च थी और 22 मार्च से यह जुर्माना बढ़कर 5000 रुपये हो जाएगा। उन्होंने कहा कि पुनर्मूल्यांकन का परिणाम विश्वविद्यालय प्रशासन की बड़ी गलती है। इसलिए प्रभावित विद्यार्थियों के लिए फार्म भरने की तिथि बढ़ाई जाए ताकि पुनर्मूल्यांकन के बाद यदि आवश्यक हो तो विद्यार्थी बिना जुर्माने के परीक्षा शुल्क का भुगतान कर सकें।
सभी को एक-एक कर भुगतान किया जाएगा: वित्त अधिकारी
वित्त अधिकारी डॉ. प्रमोद अग्रवाल ने बताया कि मामला विचाराधीन है। संबंधित शाखा द्वारा फाइल निपटाने में देरी के कारण पुराने मामले लंबित हैं। शाखा को सभी मामलों को एक-एक करके तैयार करने और निपटाने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि वित्त शाखा में पहुंचने वाली प्रत्येक फाइल का समय पर निपटान किया जाता है। वित्त अधिकारी ने बताया कि कुलपति के अनुमोदन से एक-एक कर सभी बकाया राशि का भुगतान कर दिया जाएगा।
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