चंडीगढ़, 28 मार्च : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एन.डी.पी.एस. एक्ट के तहत दर्ज मामलों में पुलिस अधिकारियों के बार-बार पेश न होने पर कड़ा रुख अपनाया है। न्यायमूर्ति मंजरी नेहरू कौल ने पंजाब सरकार को तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने का निर्देश दिया ताकि भविष्य में एनडीपीएस के मामले सामने न आएं। अधिनियम से संबंधित मामलों में गवाहों की अनुपस्थिति की शिकायतें पुनः नहीं आनी चाहिए।
कोर्ट ने यह आदेश पंजाब के डीजीपी को दिया है। साथ ही इसे गृह सचिव को भेजने को कहा ताकि वे संबंधित अधिकारियों और एन.डी.पी.एस. को उचित निर्देश जारी कर सकें। मामलों की सुनवाई में देरी को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।
मोगा जिले के एक पुलिस स्टेशन में 10 मई 2023 को एनडीपीएस अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। यह बात इस अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में आरोपी द्वारा दायर जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान सामने आई। न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि इस तरह की देरी आरोपी को जमानत मांगने का आधार दे रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के वकीलों ने बार-बार आश्वासन दिया है कि ऐसी शिकायतें दोबारा नहीं आएंगी, लेकिन ये दावे खोखले साबित हो रहे हैं।
कार्यशैली पर उठे सवाल
अदालत ने कहा कि न्याय प्रदान करने में अनावश्यक देरी संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है क्योंकि यह नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक ओर तो सरकार मामलों में अभियोजन प्रक्रिया में पूरी तरह से लापरवाहीपूर्ण रवैया अपना रही है, वहीं दूसरी ओर मुकदमे में देरी के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार होने के साथ ही जमानत याचिकाओं का पुरजोर विरोध कर रही है।
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