चंडीगढ़, 12 अप्रैल : गेहूं और धान की खरीद के लिए पंजाब को बैंकों द्वारा प्रदान की जाने वाली नकद ऋण सीमा पर भारतीय रिजर्व बैंक, बैंकों और पंजाब सरकार के बीच ब्याज दरों को लेकर विवाद अभी तक हल नहीं हो पाया है। इस मुद्दे पर कल मुंबई में आरबीआई के मुख्यालय में एक विस्तृत बैठक आयोजित की गई, लेकिन इस बैठक का कोई ठोस परिणाम नहीं निकल सका। जानकारी के अनुसार, इस मामले पर अगली बैठक मई महीने में आयोजित की जाएगी।
मान सरकार को 80,000 करोड़ की आवश्यकता
पंजाब को लगभग 125 लाख टन गेहूं और 180 लाख टन धान की खरीद के लिए लगभग 80,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता है, जिसे आरबीआई की स्वीकृति के बाद बैंकों के एक समूह द्वारा 8.97 प्रतिशत की ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाता है। इसके विपरीत, जब केंद्रीय एजेंसी एफसीआई अपने स्तर पर अनाज की खरीद करती है, तो वह केवल 8.37 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण प्रदान करती है। बैंकों का तर्क है कि चूंकि एफसीआई केंद्र सरकार की एक एजेंसी है, इसलिए वह कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराती है।
पंजाब सरकार इस तर्क को मानने के लिए तैयार नहीं है और वह बैंकों से अपेक्षा करती है कि वे समानता के आधार पर ब्याज दरों में कमी लाएं। इस स्थिति ने राज्य सरकार और बैंकों के बीच तनाव को बढ़ा दिया है, जिससे गेहूं और धान की खरीद प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो रही है। यदि यह मुद्दा जल्द सुलझ नहीं पाया, तो इससे किसानों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, जो अपनी फसल की बिक्री के लिए उचित मूल्य की उम्मीद कर रहे हैं।
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